ओटावा। मैकगिल विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने पर्माफ्रॉस्ट के नीचे ऐसे माइक्रोब्स की खोज की है जो आज तक कभी नहीं मिले थे। पर्माफ्रॉस्ट मिट्टी, बजरी या रेत के नीचे जमी बर्फ को कहते हैं। शोधकर्ताओं ने पाया कि ये जीव अकार्बनिक यौगिक मीथेन, सल्फाइड, सल्फेट, कार्बन मोनोऑक्साइड और कार्बन डाइऑक्साइड को भोजन के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं।
ये अकार्बनिक यौगिक मंगल पर भी मिलते हैं। ऐसे में संभव है कि वहां भी इस तरह के माइक्रोब हों।विश्लेषण के पहले लेखक इसमे जे ने कहा, ‘एक्टिव माइक्रोब का पता लगाने से पहले तलछट पर काम करने में लंबा समय लग गया। पर्यावरण की सॉल्टीनेस इन्हें निकालने और इनकी सीक्वेंसिंग दोनों में हस्तक्षेप करती है। ऐसे में जब हमें माइक्रोब मिले तो ये हमारे लिए संतुष्टि से भरा था।’ शोधकर्ता आर्कटिक के लॉस्ट हैमर स्प्रिंग में मौजूद 110 माइक्रोब के डीएनए से जीनोम बनाने में कामयाब हुए। इनमें से कई ऐसे हैं जिन्हें आज तक नहीं देखा गया।
वैज्ञानिकों को इससे ये पता लगाने में मदद मिलेगी कि आखिर ये जीव इस सख्त वातावरण में कैसे रह सकते हैं। मैकगिल के ही एक अन्य शोधकर्ता ने कहा, ‘लॉस्ट हैमर स्प्रिंग से हमें जो रोगाणु मिलें हैं वे आश्चर्यजनक हैं, क्योंकि वे अन्य सूक्ष्म जीवों की तुलना में जीवित रहने के लिए जैविक सामग्री जैसे ऑक्सीजन पर निर्भर नहीं रहते हैं।’ उन्होंने आगे कहा, ‘ये जीव जिंदा रहने के लिए अकार्बनिक यौगिक जैसे मीथेन, सल्फाइड, सल्फेट, कार्बन मोनोऑक्साइड और कार्बन डाईऑक्साइड को खाते हैं, जो मंगल पर मिलता है।’
बता दें कि दुनिया भर की स्पेस एजेंसी दूसरे ग्रहों पर जीवन की खोज में लगी हैं। लेकिन अब वैज्ञानिकों का मानना है कि एलियन से जुड़ा ब्लूप्रिंट पृथ्वी की सबसे ठंडी जगहों में से एक में मौजूद हो सकता है। कनाडा के हाई आर्कटिक क्षेत्र में ऑक्सीजन मुक्त वातावरण है, जिसके लक्षण मंगल ग्रह की कुछ जगहों के साथ मिलते हैं। बड़ी मात्रा में नमक और ठंडा वातावरण इनमें से एक है। समान वातावरण के चलते वैज्ञानिकों मान रहे हैं कि इससे उन्हें ये पता चलेगा कि मंगल पर किस-किस तरह का जीवन मिल सकता है।
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