Mann Ki Baat में हैदराबाद, हरियाणा और अरुणाचल प्रदेश की प्रेरणादायक कहानी शेयर कर बोले PM मोदी- तीनों राज्यों ने पेश किया उदाहरण
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज मन की बात कार्यक्रम में हैदराबाद, हरियाणा और अरुणाचल प्रदेश की प्ररेणादायक कहानी सुनाई। सबसे पहले उन्होंने कहा कि हैदराबाद में खराब सब्जियों से बिजली बनाने का काम किया गया वहीं हरियाणा में वेस्ट पानी का इस्तेमाल सिंचाई के लिए किया गया। उधर, अरुणाचल प्रदेश में बिना पेड़ को काटे कागज बनाया जा रहा है। यह सब हमारे देश में एक मिसाल पेश करते हैं। जानें तीनों राज्यों की प्रेरणादायक स्टोरी।
हैदराबाद में खराब सब्जी से बिजली बनाने का काम
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी साल 2021 के मन की बात कार्यक्रम में कहा कि हैदराबाद के बोयिनपल्ली में, एक स्थानीय सब्जी मंड़ी, किसी तरह अपने दाायित्व को निभा रही है यह पढ़कर भी बहत अच्छा लगा। हमे सबने देखा कि सब्जी मंडियों में अनेक वजहों से काफी सब्जी खराब हो जाती है। ये सब्जी इधर-उधर फैलती है, गंदगी भी फैलाती है, लेकिन बोयनिपल्ली की सब्जी मंडी ने तय किया है वह इससे बिजली बनाएंगे। बेकार हुई सब्जियों से बिजली बनाने के बारे में शायद ही आपने कभी सुना होगा- यही है तो इनोवेशन की ताकत।
हरियाणा में वेस्ट पानी खेतों में सिंचाई के लिए बना उपयोगी
उन्होंने हरियाणा के एक किस्से के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा कि हरियाणा के पंचकुला की बड़ौत ग्राम पंचायत के लोगों ने तय किया कि वेस्ट पानी से वेल्थ बनाएंगे। ग्राम पंचायत ने पूरे गांव से आने वाले गंदे पानी को एक जगह इकठ्ठा करके फिल्टर करना शुरू किया, और फिल्टर किया हुआ ये पानी, अब गांव के किसान, खेतों में सिंचाई के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। यानी, प्रदूषण, गंदगी और बीमारियों से छुटकारा भी, और खेतों में सिंचाई भी इससे संभव हो पा रहा है।
अरुणाचल प्रदेश में बिना पेड काटे बनाए जा रहे कागज
इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीसरे नंबर पर अरुणाचल प्रदेश के तवांग की कहानी बताई। उन्होंने कहा कि पर्यावरण की रक्षा से कैसे आमदनी के रास्ते भी खुलते हैं, इसका एक उदाहरण अरुणाचल प्रदेश के तवांग में भी देखने को मिला। अरुणाचल प्रदेश के इस पहाड़ी इलाके में सदियों से ‘मोन शुगु’ नाम का एक पेपर बनाया जाता है। ये कागज यहां के स्थानीय शुगु शेंग नाम के एक पौधे की छाल से बनाते हैं, इसलिए इस कागज को बनाने के लिए पेड़ों को नहीं काटना पड़ता है। इसके साथ ही इसे बनाने में किसी कैमिकल का इस्तेमाल भी नहीं होता है। यानी, ये कागज पर्यावरण के लिए सुरक्षित और स्वास्थ्य है।
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