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मुजफ्फरपुर आई हास्पिटल में आपरेशन थियेटर सील, 19 को संक्रमण, निकाली गईं 12 की आंख

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मुजफ्फरपुर। मुजफ्फरपुर आई हास्पिटल में मोतियाबिंद आपरेशन के बाद एक आंख में संक्रमण मामले की जांच शुरू है। अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डा. एसपी सिंह के नेतृत्व में जांच टीम ने मरीजों, अस्पताल प्रबंधन व आपरेशन करने वाले चिकित्सक से बातचीत की। आपरेशन थिएटर से संक्रमण की आशंका पर नमूना संग्रहित किया। अस्पताल की ओटी को तत्काल प्रभाव से सील कर दिया गया। वहां पर आपेरशन पर रोक लगा दी गई है। अस्पताल परिसर पहुंचे संक्रमण की शिकायत वाले सात मरीजों को एसकेएमसीएच रेफर कर दिया गया, जहां बुधवार को इनका आपरेशन किया जाएगा।

इस बीच दो दिन पहले संक्रमण की शिकायत पर एसकेएमसीएच पहुंचे तीन मरीजों की आंख निकाली गई। इस तरह अब तक 19 मरीज की एक आंख संक्रमण से खराब हुई है। उसमें से 12 मरीज की आंख निकाली गई है। जबकि अस्तपाल प्रबंधन ने सात मरीज की आंख निकालने तथा सात पर खतरा की बात कही है। सोमवार को सीएस से नौ मरीज ने आंख निकालने की शिकायत की। तीन एसकेएमसीएच मेंं पहुंचे जिनकी आंख निकाली गई और सात की निकालने होगी। सीएस की ओर से गठित जांच टीम में डा.हसीब असगर, नेत्र रोग विशेषज्ञ डा.नीतू कुमारी, एसकेएमसीएच के नेत्र रोग विभागाध्यक्ष डा.राजीव कुमार ङ्क्षसह, आई बैंक प्रभारी डा.एमके मिश्राा, प्रधान सहायक गुणानंद चौधरी शामिल रहे। जांच टीम के सामने अपने स्वजन का आपेरशन कराने के बाद आंख खराब होने की शिकायत लेकर पहुुंची सिसवनिया की हफीजन ने बताया कि आपरेशन के बाद जब घर पर आंख पोंछ रही थी तो लेंस गिर गया। वह कागज में रखकर लेंस लाई थी।

इस तरह से चला घटनाक्रम

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मालूम हो कि 22 नवंबर को 65 मरीजों के मोतियाविंद का आपरेशन हुआ था। इसमें अन्य मरीजों की खोज की जा रही है। इस बीच मुजफ्फरपुर आई हास्पिटल में सुबह नौ बजे से आपरेशन का इंतजार कर रहे 30 मरीजों को चिकित्सक ने देखा। उनके स्वजन हंगामा कर रहे थे। सुनीता कुमारी ने बताया कि सुबह नौ बजे आंख में दवा डाली गई, लेकिन आपरेशन नहीं किया जा रहा है। उसने आरोप लगाया कि अस्पताल प्रबंधन द्वारा इलाज के नाम पर 1500 से तीन हजार रुपये लिया गया है। इन मरीजों का आपरेशन कैसे होगा, इसको लेकर ऊहापोह है। एसकेएमसीएच के नेत्र रोग विशेषज्ञ डा. एमके मिश्रा ने बताया कि सात मरीजों की आंख में संक्रमण है। इनको आपरेशन की जरूरत होगी। माइक्रोबायोलाजी विभाग की टीम में शामिल लैब टेक्नीशियन अमरेंद्र कुमार सुमन, धीरज, विवेक ने नमूना संग्रहित किया।

जांच टीम के पहुंचते ही मचा हड़कंप

आई हास्पिटल में जांच टीम के पहुंचते ही हड़कंप मच गया। टीम ने अस्पताल में जांच की। इसके बाद कई मरीजों से बात की। पूछा कि किस तरह उनका आपेरशन किया गया। दिक्कत कैसे हुई। आखिर आंख क्यों निकालनी पड़ी। आपेरशन करने वाले चिकित्सक से भी पूछताछ की गई। जानकारी मिली कि यहां पर कार्यरत चिकित्सक दो माह से अवकाश पर है। इसलिए अभी चक्षु सहायक के भरोसे जांच व बाहरी चिकित्सक के सहारे आपरेशन हो रहा है।

अस्पताल ने गठित की जांच टीम

मुजफ्फरपुर आई हास्पिटल के सचिव दिलीप जालान ने बताया कि उनकी ओर से एक जांच टीम बनी है। उसमें डा.एसपी सिन्हा, डा.पवन कुमार, आनंद कुमार केडिया व अरुण चमडिय़ा को शामिल किया गया है। टीम की रिपोर्ट आने के बाद कार्रवाई होगी। रविवार को आयोजित निशुल्क आपरेशन को तत्काल रोका गया है। ओटी दोबारा व्यवस्थित होने के बाद निशुल्क आपरेशन किया जाएगा। उन्होंने बताया कि जिन मरीजों का आपरेशन होना था उनको एसकेएमसीएच भेजा गया है। किस स्तर पर लापरवाही हुई उसकी जांच हो रही है।

आपरेशन के नाम पर एक कमरे में 30 मरीजों को रखा

मुजफ्फरपुर। मुजफ्फरपुर आई हास्पिटल में आपरेशन के नाम पर नकद राशि जमा कर पर्ची कटाने वाले 30 रोगियों को एक कमरे में लाकर रख दिया गया था। सुबह नौ बजे आंख में दवा डाली गई। शाम में जब चार बजे तक आपरेशन नहीं हुआ तो मरीज व स्वजन हंगामा करने लगे। इसके बाद सीएस कार्यालय आकर शिकायत की। सीएस ने अस्पताल प्रबंधन को तत्काल अपनी देखरेख में सभी मरीजों को एसकेएमसीएच भेजने का निर्देश दिया। सीएस ने एसकेएमसीएच के अधीक्षक डा.बीएस झा से बातचीत कर उनसे मरीजों की जांच कर आपरेशन कराने की पहल की।

चार दिनों में 328 का आपरेशन, सबकी होगी खोज

एसीएमओ के नेतृत्व में पहुंची जांच टीम ने 22 से लेकर 27 नवंबर तक के आपरेशन का रिकार्ड खंगाला। निबंधन का कागजात लिया। 22 नवंबर को 65 मरीजों का आपरेशन हुआ था। जिस तरह से रोज शिकायत आ रही, उसके मद्देनजर टीम ने आशंका जताई है कि सबकी रोशनी जाने का खतरा है। इधर चार दिनों में जितने मरीजों का आपरेशन हुआ है, उसकी खोज की जाएगी। सीएस डा.विनय कुमार शर्मा ने बताया कि अगर मरीज के स्वजन आकर शिकायत करते हैं तो सबकी जांच की जाएगी और उपचार होगा।

नौ बजे आंख में डाली गई दवा, देखने वाला नहीं था कोई

आपरेशन कराने आए मोतीपुर अंजना कोट के अमरनाथ राय ने कहा कि मंगलवार की सुबह नौ बजे आंख में दवा डाली गई। तीन बजे के बाद दर्द होने लगा लेकिन कोई देखने वाला नहीं था। बरमदपुर कांटी की पितरिया देवी ने बताया कि वह तीन दिनों से यहां पर आ रही हैं। सुबह आपरेशन के लिए बुलाया गया। आंख में दवा डाली गई, लेकिन आपरेशन नहीं किया गया। आपरेशन के लिए उससे 1500 रुपये लिए गए। चंदवारा के अरुण महाराज ने बताया कि उनके आपरेशन के लिए दो हजार चालान कटा, लेकिन आपरेशन नहीं हुआ। मोतीपुर की रजिया ने बताया कि एक हजार रुपये जमा कराई है, आपरेशन नहीं हुआ।

किस दिन कितना आपरेशन

तिथि—-मरीजों की संख्या

22 नवंबर—-65

23 नवंबर—82

24 नवंबर—-63

25 नवंबर—-74

26 नवंबर—23

27 नवंबर—-21

दो टेबल पर 65 आपरेशन, दंग रह गई टीम

मुजफ्फरपुर। मुजफ्फरपुर आई हास्पिटल पहुंची जांच टीम ओटी की व्यवस्था देख हैरान हो गई। एसकेएमसीएच के नेत्र रोग विभागाध्यक्ष डा.राजीव कुमार ङ्क्षसह व आई बैक प्रभारी डा.एमके मिश्रा जब जांच टीम के साथ पहुंचे तो पाया कि वहां पर चार ओटी टेबल है। उसमें दो ही कार्य के लिए उपयुक्त पाया गया। जांच टीम की मानें तो दो टेबल पर एक चिकित्सक अधिकतम तीस आपरेशन कर सकते हैं। 22 नवंबर को एक चिकित्सक ने 65 मरीजों का आपरेशन कैसे कर दिया। जांच टीम ने जब आपरेशन करने वाले डा. एनडी साहू से पूछा कि एक दिन में अकेले 65 आपरेशन कैसे किए तो वह चुप्पी साध लिए।

आप्थेलमाइटिस से आंख हुई खराब

विशेषज्ञ चिकित्सक डा.एम के मिश्रा ने कहा कि सात मरीजों की जांच की गई है। सबकी आंख में आप्थेलमाइटिस है। इसका कारण संक्रमण होता है। यह संकमण कहां से आया इसके लिए माइक्रोबायोलाजी विभाग की ओर से जांच की जा रही है। जांच में स्पष्ट होगा कि संक्रमण वायरल या फंगस वाला है। उन्होंने बताया कि आपरेशन के दो दिन बाद व सात दिन के अंदर बहुत खतरा रहता है। अगर संक्रमण की पहचान दो दिन के अंदर हो तो दवा व इंजेक्शन से ठीक होगा। लेकिन दो दिनों के बाद में आंख के साथ मरीज का ब्रेन डैमेज हो सकता है।

ये मिलीं खामियां

-22 नवंबर के बाद नहीं किया गया मरीजों का फालोअप, दो दिन के बदले चार दिन बाद आए मरीज। संक्रमण से निकालनी पड़ी आंख।

– जांच टीम के सामने आपरेशन करने वाले एक भी नियमित चिकित्सक नहीं हुए उपस्थित, टीम ने माना सबकुछ चक्षु सहायक के सहारे ही चल रहा।

– 22 से 27 नवंबर के बीच जिनका आपरेशन हुआ कौन कहां का है, प्रबंधन को नहीं पता। टीम ने उठाया सवाल किस तरह से करेंगे मरीज को परेशानी होने पर फालोअप।

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