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Aarya Season 2 Review: पहले से ज्यादा दमदार हुई ‘आर्या’, दूसरे सीजन में सुष्मिता सेन की धमाकेदार वापसी

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नई दिल्ली। किसी वेब सीरीज का पहला सीजन अगर कामयाब रहता है तो दूसरा सीजन अक्सर अपेक्षाओं का अतिरिक्त बोझ लेकर आता है… और फिर आर्या तो इंटरनेशनल एमी अवॉर्ड्स में नॉमिनेटेड सीरीज है। ऐसे में आर्या 2 का इंतजार और उम्मीदें… दोनों का बढ़ना लाजिमी था। यह इंतजार आज 10 दिसम्बर को खत्म हो गया। डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर आर्या के दूसरे सीजन के सभी आठ एपिसोड्स स्ट्रीम कर दिये गये हैं। रही बात उम्मीदों की तो आर्या 2 उन चंद सीरीज में शामिल हो गयी है, जिनके दूसर सीजनों ने निराश नहीं किया। हालांकि, आर्या 2 को लेकर जिस स्केल की अपेक्षा की जा रही थी, वो तो नजर नहीं आता, पर मनोरंजन की कसौटी पर आर्या 2 सफल लगती है। सीरीज पकड़कर रखती है और देखने के लिए एक बार बैठेंगे तो फिर खत्म करके ही उठेंगे।

आर्या 2 की कहानी वहीं से आगे बढ़ती है, जिस मोड़ पर पहला सीजन खत्म हुआ था। पिछले सीजन के क्लाइमैक्स में दिखाया गया था कि आर्या अपने तीनों बच्चों के साथ देश छोड़कर न्यूजीलैंड जा रही है। इस क्लाइमैक्स से लगा था कि दूसरे सीजन की कहानी विदेशी जमीन पर दुश्मनों के साथ आर्या के टकराव को दिखाएगी, मगर यहां लेखकों ने अपना हुनर दिखाते हुए कहानी को ऐसा मोड़ दिया कि वो लौटकर राजस्थान के उसी शहर में पहुंच जाती है, जहां पहले सीजन की घटनाएं घटी थीं और आर्या के सामने वही पुराने दुश्मन और साजिशें एक बार फिर खड़े हो जाते हैं।

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आर्या के पति तेज सरीन की हत्या और ड्रग्स का कारोबार करने के आरोप में उसके पिता जोराबर और भाई संग्राम पर मुकदमा चल रहा है। मगर, उन्हें सजा दिलाने के लिए पुलिस के पास सबूत के तौर पर जो पेनड्राइव है, उसे कॉरोबोरोट करने के लिए आर्या की गवाही जरूरी है। न्यूजीलैंड में आर्या और उसके बच्चों की जान को खतरा था। इसलिए एसीपी यूनुस खान ने विटनेस प्रोटेक्शन प्रोग्राम के तहत आर्या को ऑस्ट्रेलिया शिफ्ट करवा दिया था।

आर्या की मदद के बदले में पब्लिक प्रोसीक्यूटर और एसीपी उसे पिता और भाई के खिलाफ सबूतों की पुष्टि अदालत में करने के लिए दबाव बनाते हैं। आर्या गवाही देने अदालत में पहुंचती हैं, मगर संग्राम की गर्लफ्रेंड हिना के गर्भवती होने की बात सामने आने पर पेनड्राइव में मौजूद दस्तावेजों की सच्चाई से मुकर जाती है, जिससे जोराबर और संग्राम छूट जाते हैं। आर्या के इस तरह मुकरने से एसीपी खान भड़क जाता है और विटनेस प्रोटेक्शन प्रोग्राम वापस ले लेता है।

अब आर्या अपने दुश्मनों के बीच अकेली है। एक तरफ अपने परिवार से खतरा है तो दूसरी तरफ शेखावत का परिवार उससे बदला लेने का मौका ढूंढ रहा है। वहीं, शेखावत से चुराई गये 300 करोड़ के नशीले पदार्थों के गुम हो जाने के कारण रशियन माफिया भी आर्या के पीछे है। हालांकि, इसमें आर्या का सीधा हाथ नहीं है। अब आर्या इन सबसे कैसे बचती है? अपने बच्चों को कैसे बचाती है? अपने पिता की साजिशों और शेखावत परिवार के हमलों से खुद को कैसे बचाती है, यह कहानी पूरे आठ एपिसोड्स में फैली हुई है।

आर्या वेब सीरीज की सबसे बड़ी ताकत इसकी राइटिंग है, जिसमें एक सादगी और रवानगी है। किरदारों के संवाद और कलाकारों द्वारा उनकी अदायगी धारा प्रवाह और इतनी सहज है कि लगता है, दर्शक उस बातचीत के बीचोंबीच कहीं बैठा है और यही बात सीरीज से कनेक्ट करती है। सीरीज में वक्त-वक्त पर कुछ ऐसे ट्विस्ट आते हैं, जो दिलचस्पी बनाये रखते हैं। खासकर, क्लाइमैक्स का ट्विस्ट दर्शकों को चौंका देगा। पहले सीजन में आर्या का किरदार एक विक्टिम के तौर पर सामने आया था, जो अपने बच्चों को अपराध और अपराधियों से बचाने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार है।

दूसरे सीजन के ज्यादातर हिस्से में आर्या का यही रूप बना रहता है, मगर जैसे-जैसे दूसरा सीजन अपने क्लाइमैक्स की ओर बढ़ता है, आर्या की दृढ़ता और तेवर बदलते हैं  जाते हैं। अब वो भागने के बजाय हालात को खुद अपने हाथ में लेती है और इस तरह एक ताकतवर किरदार में तब्दील हो जाती है। दूसरा सीजन जिस मोड़ पर खत्म हुआ है, उससे तीसरे सीजन की दस्तक भी महसूस होती है।

आर्या के किरदार में सुष्मिता सेन ने इस बार भी कमाल किया है। इस सीरीज को करना उनके करियर का सर्वश्रेष्ठ फैसला कहा जा सकता है। चारों ओर से दुश्मनों से घिरी आर्या, जिसके अपने ही उस पर घात लगाये बैठे हों, बच्चों के भावनात्मक उतार-चढ़ाव को सामना करती मां… इस किरदार की विभिन्न परतों को सुष्मिता ने कामयाबी के साथ उकेरा है।

कैंसर से जूझ रहे पिता और बेटी आर्या की नफरत के बावजूद उसे उसके ही भाई से बचाने की जुगत करते जोराबर के किरदार में जयंत कृपलानी पर इस बार गुस्सा कम दया अधिक आती है। सरवाइवल के लिए अपनी सगी बहन की जान लेने की योजनाएं बनाते छोटे भाई संग्राम सिंह के किरदार में अंकुर भाटिया की तारीफ करनी होगी। उन्होंने एक पल के लिए भी अपने किरदार को पटरी से नहीं उतरने दिया और इस किरदार को मिलने वाली नफरत ही उनका इनाम है।

अपनी निजी जिंदगी और पेशेगत उलझनों में घिरे एसीपी खान के रोल में विकास कुमार ने अच्छा प्रदर्शन किया है। हालांकि, इस किरदार की समलैंगिक रिलेशनशिप का ट्रैक मुख्य कथ्य में कहीं फिट नहीं होता और ना ही इसे सपोर्ट करता है। अगर इसे निकाल भी दिया जाए तो आर्या का ढांचा नहीं बिगड़ेगा। आर्या की जिंदगी के रोमांच में खोया दर्शक उम्मीद करता रहता है कि इस ट्रैक का मुख्य ट्रैक से कहीं कनेक्शन निकलेगा, मगर ऐसा नहीं होता। ऐसा लगता है, लेखकों ने सिर्फ वैचारिक समर्थन के लिए इसे जोड़ा है।

एक और कलाकार ने दूसरे सीजन में अपनी अदाकारी की अलग छाप छोड़ी। यह हैं सुगंधा गर्ग, जिन्होंने संग्राम की गर्लफ्रेंड हिना का किरदार निभाया। यह किरदार जिस तरह से भावनात्मक और वैचारित स्तर पर अस्थिर है, उसे निभाना आसा नहीं होता, मगर सुगंधा ने इसे बेहतरीन ढंग से निभाया है। बाकी सहयोगी किरदारों में विश्वजीत प्रधान, सिकंदर खेर, गीतांजलि कुलकर्णी, आकाश खुराना, सोहेला कपूर ने अपनी जिम्मेदारी ठीक से निभायी है और मुख्य किरदारों को उभारने में मदद की है।

आर्या के पहले सीजन में चंद्रचूड़ सिंह के किरदार के जरिए बड़े अच्छे लगते हैं गाने की तरह इस बार भी विभिन्न परिस्थितियों में पुराने हिंदी गानों का प्रयोग दृश्यों को आकर्षक बनाता है। कहीं-कहीं यह दृश्यों में ह्यूमर का तड़का लगाता है। राम माधवानी का निर्देशन कसा हुआ और टू द पॉइंट है। सीरीज कहीं भी अपने लाइन को छोड़ती प्रतीत नहीं होती।

कलाकार- सुष्मिता सेन, अंकुर भाटिया, जयंत कृपलानी, विकास कुमार, विश्वजीत प्रधान, सिकंदर खेर, सुगंधा गर्ग आदि।

निर्देशक- राम माधवानी

रेटिंग- ***1/2 (साढ़े तीन स्टार)

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