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कश्मीरी हिंदुओं को जम्मू कश्मीर विधानसभा में मिल सकता है आरक्षण, 20 दिसंबर को प्रदेश के पांचों सांसदों को नई दिल्ली बुलाया

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श्रीनगर : जम्मू कश्मीर विधानसभा में कश्मीरी हिंदुओं, अनुसूचित जनजातियों और गुलाम कश्मीर से आए नागरिकों को भी आरक्षण मिल सकता है। जम्मू कश्मीर में विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन में लगे परिसीमन आयोग ने अपनी रिपोर्ट का एक प्रारूप तैयार कर लिया है। प्रारूप पर चर्चा के लिए आयोग ने 20 दिसंबर को प्रदेश के पांचों सांसदों को नई दिल्ली बुलाया है। ये सांसद आयोग के सदस्य भी हैं। इनमें नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) के तीनों सांसद डा. फारूक अब्दुल्ला, हसनैन मसूदी, मोहम्मद अकबर लोन और भाजपा के दोनों सांसद जुगल किशोर शर्मा और डा. जितेंद्र सिंह शामिल हैं।

केंद्र शासित प्रदेश बनने से पहले जम्मू कश्मीर विधानसभा में सिर्फ अनुसूचित जातियों के लिए सात सीटें आरक्षित थीं। ये सभी सीटें जम्मू संभाग में थीं। कश्मीरी हिंदुओं, गुलाम कश्मीर से आए नागरिकों और अनुसूचित जनजातियों के लिए कोई सीट आरक्षित नहीं थी। अब कश्मीरी हिंदुओं और गुलाम कश्मीर के नागरिक कुछ सीटों को उनके लिए आरक्षित करने की मांग कर रहे हैं। हालांकि कश्मीरी हिंदू लोकसभा में भी उनके लिए सीट आरक्षित करने की मांग कर रहे हैं।

सूत्रों ने बताया कि आयोग ने अपनी रिपोर्ट का प्रारूप तैयार कर लिया है। इसके तहत कश्मीरी हिंदुओं के लिए सिक्किम में बौद्ध लामाओं के लिए आरक्षित सीट की तरह ही एक फ्लोटिंग विधानसभा क्षेत्र तैयार किया जा सकता है। फ्लोटिंग विधानसभा क्षेत्र वह होता है, जिसकी कोई भौगोलिक सीमा नहीं होती। चूंकि कश्मीर हिंदू 1989 के बाद कश्मीर में आतंकी हिंसा के चलते पलायन कर देश के विभिन्न हिस्सों मेंं बस गए थे, इसलिए वह वहां से भी उस क्षेत्र के लिए वोटिंग कर सकते हैं। इसके अलावा पांडु़चेरी विधानसभा का माडल अपनाते हुए कश्मीरी हिंदुओं के लिए आरक्षण सुनिश्चित किया जा सकता है। उनके लिए एक से दो सीटों को आरक्षित किया जा सकता है।

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वहीं, सूत्रों के अनुसार, अनुसूचित जातियों के लिए सात सीटें ही आरक्षित रहेंगी, जबकि अनुसूचित जनजातियों के लिए नौ सीटें आरक्षित हो सकती हैं। वहीं गुलाम कश्मीर से आए नागरिक चाहते हैं कि गुलाम कश्मीर के कोटे की 24 में से कुछ सीटों को अनारक्षित कर उन पर उनके समुदाय के प्रतिनिधियों को चुना जाए। अलबत्ता, परिसीमन आयोग ने स्पष्ट कर रखा है कि गुलाम कश्मीर के लिए आरक्षित सीटें उसके कार्याधिकार क्षेत्र से बाहर हैं। हालांकि इनके लिए भी एक से दो सीट आरक्षित हो सकती है।

बता दें कि केंद्र शासित जम्मू कश्मीर में विधानसभा का प्रविधान है। विधानसभा के गठन से पूर्व प्रदेश में विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन किया जाना है। इसके लिए केंद्र सरकार ने मार्च 2020 में जस्टिस (सेवानिवृत्त) रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में परिसीमन आयोग का गठन किया था। आयोग में दो अधिकारिक सदस्य मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा और प्रदेश चुनाव आयुक्त केके शर्मा हैं, जबकि पांच अन्य सदस्य हैं। ये सदस्य उसी राज्य व केंद्र शासित प्रदेश से निर्वाचित सांसद होते हैं, जहां परिसीमन होना है। आयोग को मार्च 2022 तक अपनी अंतिम रिपोर्ट देनी हे। इसके बाद जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराए जाने हैं।

नेकां की कोर समिति में तय होगा मुलाकात का एजेंडा :

नेकां के सांसद हसनैन मसूदी ने परिसीमन आयेाग की बैठक के बारे में पूछे जाने पर कहा कि हमने पहली बैठक का बहिष्कार किया था। इसके अलावा हमने जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम को अदालत में चुनौती दे रखी है। इसलिए 20 दिसंबर को नई दिल्ली में बैठक में शामिल होने का अंतिम फैसला डा. फारूक अब्दुल्ला की अध्यक्षता में होने वाली पार्टी की कोर समिति में होगा। उसी बैठक में हम परिसीमन आयोग के साथ मुलाकात के लिए अपना एजेंडा तय करेंगे।

आपत्तियों पर अमल को आयोग बाध्य नहीं :

सूत्रों ने बताया कि 20 दिसंबर की प्रस्तावित बैठक में आयोग पांचों सांसदों/सदस्यों को परिसीमन के प्रस्तावित प्रारूप से अवगत कराएगा। वह उनके सुझाव लेगा और उसके बाद संबंधित प्रारूप को सार्वजनिक किया जाएगा। इसके बाद उसे अंतिम रूप दिया जाएगा। अलबत्ता, सांसदों के पास मतदान या हस्ताक्षर करने का कोई अधिकार नहीं है। उनके विचारों को परिसीमन की अधिसूचना में रिकार्ड में रखा जाता है, लेकिन उनके सुझावों और आपत्तियों पर अमल के लिए आयोग बाध्य नहीं है

83 से बढ़ाकर 90 की जानी हैं विधानसभा सीटें :

पांच अगस्त 2019 से पहले के जम्मू कश्मीर राज्य की विधानसभा में 87 निर्वाचित, दो नामांकित सदस्यों के अलावा 24 सीटें गुलाम कश्मीर के लिए आरक्षित रहती थीं। इनमें 46 सीटें कश्मीर संभाग, 37 जम्मू संभाग और चार लद्दाख में थी। लद्दाख अलग प्रदेश बनने के बाद चार सीटें समाप्त हो चुकी हैं और अब जम्मू कश्मीर में 83 विधानसभा सीटों को बढ़ाकर 90 किया जाना है।

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