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सिख विरोधी व गोधरा दंगों की जांच करने वाले सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश का निधन, 86 साल की उम्र में ली अंतिम सांस

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नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश गिरीश ठाकुरलाल नानावती का शनिवार को निधन हो गया। वह 86 वर्ष के थे। उन्होंने 1984 के सिख विरोधी और 2002 के गोधरा दंगों की जांच की थी। उनके परिवार के सदस्यों ने बताया कि उनका गुजरात में शनिवार दोपहर एक बजकर 15 मिनट पर हृदय गति रुकने से निधन हो गया।

न्यायाधीश नानावती का जन्म 17 फरवरी 1935 को हुआ था और वह 11 फरवरी 1958 को बंबई उच्च न्यायालय के वकील के तौर पर पंजीकृत हुए। उन्हें 19 जुलाई 1979 को गुजरात उच्च न्यायालय का स्थायी न्यायाधीश नियुक्त किया गया और फिर 14 दिसंबर 1993 को उनका ओडिशा उच्च न्यायालय में तबादला कर दिया गया।

नानावती को 31 जनवरी 1994 को ओडिशा उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया। इसके बाद उन्हें 28 सितंबर 1994 को कर्नाटक उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया। वह छह मार्च 1995 को उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश बने और 16 फरवरी 2000 को सेवानिवृत्त हुए। न्यायाधीश नानावती और न्यायाधीश अक्षय मेहता ने 2002 दंगों पर अपनी अंतिम रिपोर्ट 2014 में गुजरात की तत्कालीन मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल को सौंपी थी। गोधरा दंगों में 1,000 से अधिक लोग मारे गए थे जिसमें से ज्यादातर लोग अल्पसंख्यक समुदाय के थे।

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गुजरात में 2002 में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने दंगों की जांच के लिए आयोग गठित किया था। गोधरा रेलवे स्टेशन के समीप साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन की दो बोगियों में आग लगाने के बाद यह दंगे हुए थे। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार ने 1984 के सिख विरोधी दंगों की जांच के लिए नानावती आयोग को गठित किया था। वह नानावती आयोग के इकलौते सदस्य थे।

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