पटना। हिंदुस्तान आवाम मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतनराम मांझी के सत्यनारायण भगवान की पूजा के संबंध में ब्राह्मण समाज पर की गई टिप्पणी पर बिहार विधान परिषद के सदस्य डा. प्रमोद चंद्रवंशी ने पलटवार किया है। बिहार पूर्व मुख्यमंत्री मांझी के बयान को अभद्र, बड़बोलापन और अमर्यादित बताते हुए बीजेपी नेता ने इसकी कड़ी आलोचना की है। उन्होंने कहा कि किसी को गाली देकर अपने समाज का हितैषी बनने के राजनीति स्वार्थ और समाज में फूट डालने की ओछी राजनीति होती है, मांझी इसी रास्ते पर चल पड़े हैं। चंद्रवंशी ने कहा कि इस मार्ग पर चलकर मांझी को कुछ भी हासिल नहीं होगा, बल्कि वे राजनीति के हाशिए पर चले जाएंगे।
डा चंद्रवंशी ने कहा कि राज्य की जनता जाति की राजनीति का काफी दंश भोग चुकी है। अब वह इन प्रकार की राजनीति को महत्व नहीं देने वाली है। डा. चंद्रवंशी ने कहा कि मांझी का दलित प्रेम उस समय कहां था जब 19 मई 2021 को पूर्णिया जिले के डगरूआ प्रखंड अंतर्गत मझुआ गांव में एक धर्म विशेष के लोगों ने दलितों पर हमला किया था। इस दौरान भाजपा को छोड़कर कोई भी राजनीति पार्टी वहां नहीं गई थी, क्योंकि उन्हें मुस्लिम वोट बैंक की चिंता सता रही थी। उन्होंने मांझी को इस तरह के अलगाव पैदा करने की आलोचना की। उन्होंने कहा कि बिहार में अनुसूचित जाति के लोग आध्यात्म और भक्ति के मामले में सदियों से हिन्दू धर्म का अभिन्न अंग बने रहे हैं। गोपालगंज के रहषु भगत की कहानी को कौन नहीं जानता, जिनकी भक्ति से प्रसन्न होकर माता भगवती कामख्या से चलकर थावे पहुंची थीं। यहां माता सिंहासनी भवानी के रूप में विराजित हैं। इसी तरह संत रविदास का कहना था कि मन चंगा तो कठौती में गंगा…और माता गंगे उनकी कठौती में विराजित थीं। उनकी भक्ति में इतनी शक्ति थी कि वह गंगा की धार पर पैदल चल पड़ते थे। वहीं पासवान समाज के लोग चुहरमल की आराधना भाव भक्ति के साथ करते हैं।