दुर्ग: जिले में 8 माह से नए कुष्ठ रोगियों को ढूंढने के नाप पर खानापूर्ति की जा रही है। इसके लिए नियुक्त 13 कर्मी सर्वे के काम की जगह मुख्य रूप से हॉट बाजार में सेवा दे रहे हैं। रेगुलर सर्वे की जगह कभी-कभार उन्हें ग्राउंड पर घर-घर भेजा जा रहा है। जिला कुष्ठ उन्मूलन के गिरते आंकड़ों से इसका खुलासा हो रहा है। कोरोना काल से पहले 2019-20 इस टीम के साथ मिले 6 रिटायर्ड कर्मियों की टीम ने हर वर्किंग-डे में क्षेत्र वार घर-घर जाकर 8 महीने में कुल 568 नए कुष्ठ रोगी ढूंढा था। कोरोना काल खत्म होने के बाद 2022-23 के शुरुआती 8 महीने में सिर्फ 257 मरीज ढूंढ पाए हैं। वजह तलाशी जा रही है।अब 1 दिसंबर से घर-घर सघन सर्वे अभियानअजीब हाल है, पूरे 8 महीने से कुष्ठ रोगियों को ढूंढने का काम हासिए पर है। इधर 1 दिसंबर से घर-घर जाकर सघन सर्च अभियान चलाने की योजना बनी है। जानकारी मिली है कि इस संदर्भ में डायरेक्टर हेल्थ ने आदेश जारी किए हैं। जिला स्तर पर इसके लिए कागज में योजना भी बनी है।हर साल कराया जा रहा सर्वेपीबी केस एमबी में जाएंगे, ज्यादा दवाएं चलेंगीसर्वे नहीं होने से सबसे बड़ी परेशानी यह कि समाज में छिपे पीबी (जिन पर सामान्य प्रभाव) कुष्ठ रोगी दवा नहीं मिलने से एमबी (अधिक प्रभाव वाले) में कनवर्ट हो जाएंगे। आगे उन्हें छह महीने की जगह पूरे 12 महीने दवा लेनी होगी। बीच में दवा छूट गई तो बीमारी दूसरे रूप में चली जाएगी। इस वजह से सर्वे किया जा रहा है।एमबी केस विकृति में जाएंगे, आरसीएस होगासर्वे के दौरान एमबी केस को समय पर इलाज नहीं मिला तो सभी के सभी विकृति में जाएंगे। ऐसी परिस्थिति में हाथ, पैर, आंखें खराब हो सकती हैं। सबकी रिकंसट्रक्टिव सर्जरी कराने की जरूरत हो जाती है। इस सर्जरी का कोटा और सुविधा कम होने से सबकी सर्जरी संभव नहीं हो सकती है। इससे जुड़ी जानकारी दी जा रही है।संसाधन कम हुए, फिर भी हम बेहतर करेंगेहमारे मातहत अन्य काम के साथ ही कुष्ठ रोगियों को ढूंढने का काम भी कर रहे हैं। इस साल हमने 257 नए रोगियों को ढूंढा है। पीबी केस एमबी और एमबी केस आरसीएस में कन्वर्ट होने की संभावना कम हो गई है। पहले हमें 3 वाहन और 6 रिटायर्ड एनएमएस मिले थे। उससे नए मरीजों को ढूंढने और पहचान करना आसान था। संसाधन देने के लिए मैने मांग की है।डॉ. अनिल शुक्ला, जिला कुष्ठ अधिकारी, दुर्गसर्वे के दौरान एमबी केस को समय पर इलाज नहीं मिला तो सभी के सभी विकृति में जाएंगे। ऐसी परिस्थिति में हाथ, पैर, आंखें खराब हो सकती हैं। सबकी रिकंसट्रक्टिव सर्जरी कराने की जरूरत हो जाती है। इस सर्जरी का कोटा और सुविधा कम होने से सबकी सर्जरी संभव नहीं हो सकती है। इससे जुड़ी जानकारी दी जा रही है।
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