भिलाई: भाजपा नेताओं के सामने अपनी बात रखते स्वास्थ्य अधिकारीनगर पालिक निगम भिलाई के स्वास्थ्य अधिकारी धर्मेंद्र मिश्रा के बयान ने निगम की राजनीति में तुफान ला दिया है। धर्मेंद्र मिश्रा सैकड़ों लोगों के सामने यह कहते नजर आए कि तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष रिकेश सेन के दबाव में सफाई का ठेका गलत व्यक्ति (रमन) के हाथ में गया है। इस बयान का भाजपा नेता रिकेश सेन कड़ा विरोध किया है। उन्होंने कहा कि निगम यदि यह लिखकर दे कि नेता प्रतिपक्ष के कहने पर टेंडर दिया जा सकता है, तो वो अपनी संपत्ति बेंचकर सफाई कर्मियों के वेतन का भुगतान करेंगे। नहीं तो स्वास्थ्य अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की जाए। दरअसल खुर्सीपार क्षेत्र के भाजपा नेता व पार्षद दया सिंह और भाजपा जिलाध्यक्ष ब्रिजेश बिचपुरिया सफाई कर्मियों को दो महीने से वेतन न मिलने के मामले में बुधवार दोपहर विरोध करने गए थे। उन्होंने सकैड़ों की संख्या में सफाई कर्मियों को लेकर निगम कार्यालय का घेराव किया। निगम आयुक्त कार्यालय के सामने बैठकर नारेबाजी और प्रदर्शन किया। इस दौरान लोगों को समझाने के लिए अपर आयुक्त अशोक द्विवेदी और स्वास्थ्य अधिकारी धर्मेंद्र मिश्रा पहुंचे हुए थे। सफाई कर्मियों ने आरोप लगाया कि नेचर ग्रीन के समय उन्हें कोई परेशानी नहीं थी। जब से सफाई का ठेका रमन को मिला है उन्हें न तो समय पर वेतन मिलता है और न ही ईएसआईसी और ईपीएफ दिया जा रहा है। इस पर धर्मेंद्र मिश्रा ने बयान दिया उन्होंने सफाई का टेंडर नेचर ग्रीन को ही दिया था, लेकिन तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष रिकेश सेन धरने पर बैठ गए। हमारी गाड़ी पोछने लगे, सारे अधिकारियों की गाड़ी पोछने लगे। वह मांग कर रहे थे कि नेचर ग्रीन को सफाई ठेका न दिया जाए। इतना सुनते ही भाजपा के जिलाध्यक्ष ब्रिजेश बिचपुरिया भड़क गए और उनके पूछा कि रिकेश सेन के कहने पर आपने टेंडर क्यों दे दिया।भिलाई महापौर नीरज पालमहापौर ने स्वास्थ्य अधिकारी के बयान बताया गलतनिगम के महापौर नीरज पाल ने प्रभारी स्वास्थ्य अधिकारी धर्मेंद्र मिश्रा के दिए बायान को पूरी तरह से गलत बताया है। उन्होंने कहा कि उन्हें इस तरह एक संवैधानिक पद में रहते हुए बयान नहीं देना चाहिए। निगम के टेंडर नियमों के तहत होते हैं। इस तरह किसी के कहने या दबाव बनाने से टेंडर नहीं होता।भाजपा पार्षद रिकेश सेनकलेक्टर दुर्ग ने किया था सफाई का टेंडरभाजपा नेता व निगम के वरिष्ठ पार्षद रिकेश सेन का कहना है कि जिस समय सफाई का ठेका हुआ है उस समय दुर्ग कलेक्टर को प्रशासक के तौर पर नियुक्त किया गया था। उस समय न कोई पार्षद था न महापौर और न नेता प्रतिपक्ष। टेंडर दुर्ग कलेक्टर के द्वारा नियम के तहत किया गया है। उस प्रक्रिया पर सवाल उठाना पूरी तरह से गलत है। रही बात गाड़ी पोछने और विरोध प्रदर्शन की तो वह सफाई कर्मियों के ईपीएफ और ईएसआईसी का पैसा न दिए जाने को लेकर थी।
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