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रतलाम में सोने-चांदी और नोटों से सजने लगा महालक्ष्मी का दरबार

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रतलाम। 10 नवंबर से शुरू हो रहे पांच दिवसीय दीपोत्सव में रतलाम के माणकचौक स्थित महालक्ष्मी मंदिर में श्रद्धालुओं द्वारा दिए गए सोना-चांदी, आभूषण, मोती, हीरे और नकदी से सजावट शुरू हो गई है।

विशेष शृंगार भाई दूज तक रहेगा। श्रद्धालु मंदिर में सात नवंबर की रात 11 बजे तक सामग्री दे सकेंगे। इस बार विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लगने के कारण 50 हजार रुपये से ज्यादा की नगदी नहीं ली जा रही है।

हर बार की तरह इस बार भी शृंगार के लिए सामग्री देने वाले श्रद्धालुओं को टोकन दिया जाएगा। इसी टोकन के आधार पर सामग्री वापस भी की जाएगी। मंदिर के संजय पुजारी ने बताया कि आठ व नौ नवंबर को दिन भर शृंगार व सजावट का काम चलेगा।

दीपोत्सव में शृंगार रहने तक मंदिर में विशेष सशस्त्र पुलिस बल के साथ ही सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए हैं। अभी तक 351 भक्त सामग्री दे चुके हैं।

कुबेर पोटली बनाने का काम शुरू

रतलाम के महालक्ष्मी मंदिर में दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं को हर बार धनतेरस पर कुबेर पोटली बांटी जाती है, लेकिन कोरोना काल में इस पर रोक लगा दी गई थी। इस बार कुबेर पोटली बांटी जाएगी, लेकिन समय तय नहीं हुआ है।

सामग्री रखने वाले श्रद्धालुओं को भी पोटली मिलेगी। कुबेर पोटली में सीपी, सुपारी, कमल गट्टा, सिक्का आदि सामग्री रहती है। मान्यता है कि इसे घर की तिजोरी में रखने से समृद्धि बनी रहती है।

नोटों, जेवरों से होती है विशेष सजावट

उल्लेखनीय है कि प्रति वर्ष श्रद्धालुओं द्वारा दी गई सामग्री से महालक्ष्मी मंदिर की सजावट के बाद पट धनतेरस पर तड़के शुभ मुहूर्त में खोले जाते हैं। पांच दिवसीय दीपोत्सव में श्रद्धालुओं द्वारा दिए जाने वाले आभूषण, हीरे, मोती, तिजोरी, नकदी आदि से की गई सजावट भाई दूज तक रहती है।

इसके बाद श्रद्धालुओं को उनकी सामग्री वापस कर दी जाती है। मान्यता है कि मंदिर में सामग्री देने के बाद वापस लेकर घर में रखने पर वर्षभर महालक्ष्मी की कृपा बनी रहती है।

शृंगार में भक्तों की सामग्री

– सोने-चांदी के नोट, चांदी की सिल्लियां।

– नकदी-5 से लेकर 500 तक के नोट।

– अन्य सामग्री-जेवर, चांदी की मूर्तियां, हीरे, मोती।

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