योगी सरकार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. सरकार के एक फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है. बीते दिनों सावन को देखते हुए योगी सरकार ने कांवड़ यात्रा मार्गों पर पड़ने वाली दुकानों, ढाबों और होटलों को अपने-अपने मालिकों के नाम लिखने को कहा था. योगी सरकार के इस आदेश पर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को सुनवाई हुई. सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार के इस फैसले पर रोक लगा दी.
सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि किसी भी दुकानदार को नाम लिखने की जरूरत नहीं है, बल्कि खाद्य पदार्थ के प्रकार की जानकारी लिखनी होगी. मतलब ये है कि खाद्य पदार्थ वेज है या नॉनवेज है. इसकी जानकारी दुकानदारों को देनी होगी. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद जहां एक ओर कुछ दुकानदारों ने अपनी नाम प्लेट उतरनी शुरू कर दी हैं तो वहीं कुछ का कहना है कि अब जो नाम लिख गया, वो लिख गया. अब नाम नहीं चेंज होने वाला है. हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले से खुश हैं, लेकिन बार-बार नाम बदलने की क्या जरूरत. वहीं शासन-प्रशासन की तरफ से अब तक इस मामले पर कुछ भी बयान नहीं आया है. जिलों के अधिकारी भी इस पर कुछ बोलने से बच रहे हैं.
RLD चीफ जयंत चौधरी ने किया था विरोध
योगी सरकार के इस फैसले पर सरकार के सहयोगी दल राष्ट्रीय लोकदल के नेता भी खुश नहीं थे. इस मामले में राष्ट्रीय लोकदल के कई बड़े नेताओं ने सरकार के फैसले को गलत बताया था. वहीं रविवार को मुजफ्फरनगर पहुंचे राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष व केंद्र सरकार में स्वतंत्र प्रभार राज्यमंत्री जयंत चौधरी ने सरकार के इस फैसले का विरोध किया था. जयंत चौधरी ने सीधे तौर पर कहा था कि यह फैसला सोच-समझ कर नहीं लिया गया है, बल्कि अचानक लिया गया फैसला है. सरकार को इस पर विचार करना चाहिए.
‘जो नाम लिख उठा, अब नहीं हटेगा’- बोले दुकानदार
वहीं मुजफ्फरनगर में आज दुकानदारों ने अपनी दुकान से नेम प्लेट वाले बोर्ड हटा दिए. इस दौरान कुछ दुकानदारों ने कहा कि हमको नाम लिखवाने में कोई दिक्कत नहीं थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट का निर्णय है, जिसका हम सम्मान करते हैं. मुजफ्फरनगर के राणा चौक पर शमीम सैफी टी स्टॉल और श्री बाला जी कैंटीन एक साथ बने हुए हैं. बाला जी कैंटीन के मालिक नरेंद्र कश्यप का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट का अपना फैसला है. हमने पुलिस के निर्देश के बाद नाम लिखवा लिया था. अब नाम इसी तरह से लिखा रहेगा.
नाम बदलने से काम पर पड़ा असर- नासिर
वहीं निसार फल वाले कहते हैं कि नाम लिखने से उनके काम पर असर पड़ रहा था. ऐसा न हो तो वही अच्छा है. आरिफ का कहना है कि उन्हें कोई दिक्कत नहीं आई थी, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट की रोक के बाद उन्होंने ठेले से अपने नाम की तख्ती हटा ली है. पान वाले शाह आलम ने भी अपने नाम का बोर्ड अपनी दुकान के बाहर से हटा लिया है. उनका कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने जो अंतरिम रोक लगाई है, वह एक बड़ी राहत है.
सरकार के फैसले पर क्या बोले कांवड़िया?
वहीं शमीम का कहना है कि कोर्ट के आदेश की सराहना की जाएगी, फिलहाल नाम ऐसे ही लिखा रहेगा. अगर नाम लिखने से कोई दिक्कत आएगी तो नाम हटा देंगे. वहीं आज से सावन का महीना शुरू हो चुका है. सड़कों पर कांवड़िया दिखने लगे हैं. जब उनसे योगी सरकार के फैसले को लेकर बातचीत की गई तो उन्होंने कहा कि दुकानों के बाहर नाम लिखा जाना चाहिए. सरकार का फैसला सही है.