झारखंड में विधानसभा चुनाव से पहले पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन के झारखंड मुक्ति मोर्चा छोड़ने की अटकलें लग रही हैं. कहा जा रहा है कि हेमंत सोरेन से बगावत कर चंपई भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो सकते हैं. शुक्रवार को चंपई के एक सांकेतिक बयान ने इन चर्चाओं को और बल दिया. पत्रकारों के एक सवाल के जवाब में चंपई ने कहा कि अभी इंतजार कीजिए, मुझमें अभी राजनीति बाकी है.
जिंदगी के 67 बसंत देख चुके चंपई सोरेन इसी साल की शुरुआत में झारखंड के मुख्यमंत्री बने थे. हालांकि, एक राजनीतिक उलटफेर में 5 महीने के भीतर ही उनकी कुर्सी चली गई.
बाबूलाल मरांडी के रास्ते चलेंगे चंपई?
झारखंड के सियासी गलियारों में यही सवाल उठ रहा है कि क्या चंपई सोरेन बाबूलाल मरांडी के रास्ते पर चलेंगे? साल 2003 में भारतीय जनता पार्टी ने बाबूलाल मरांडी को हटाकर अर्जुन मुंडा को झारखंड मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंपी, लेकिन 2005 के चुनावी नतीजों ने बीजेपी को झटका दे दिया.
मरांडी को इस बार मुख्यमंत्री बनने की उम्मीद थी, लेकिन बीजेपी ने फिर से कुर्सी मुंडा को ही सौंप दिया. इससे नाराज मरांडी ने बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया.
उन्होंने 2006 में विधायकी और बीजेपी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया. मरांडी ने इसके बाद खुद की पार्टी झारखंड विकास मोर्चा का गठन किया. हालांकि, मरांडी राजनीति में सफल नहीं हो पाए. 2020 में उन्होंने अपनी पार्टी का विलय बीजेपी में कर लिया.
चंपई के पार्टी छोड़ने की बात क्यों हो रही?
31 जनवरी 2024 को हेमंत सोरेन के जेल जाने के बाद झारखंड मुक्ति मोर्चा ने सीनियर नेता चंपई सोरेन को विधायक दल का नेता चुना. चंपई इसके बाद राज्य के मुख्यमंत्री बने. जेएमएम की तरफ से मुख्यमंत्री बनने वाले चंपई पहले ऐसे नेता थे, जो संथाल परगना के नहीं थे.
चंपई जुलाई 2024 तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे. जून के आखिर में जब झारखंड हाईकोर्ट ने हेमंत को जमानत दे दी तो उनके कुर्सी को लेकर अटकलें लगनी शुरू हो गई. कहा जाता है कि हेमंत जब जेल से बाहर आए तो चंपई को यह उम्मीद थी कि उन्हें कम से कम चुनाव तक मुख्यमंत्री पद से नहीं हटाया जाएगा. झारखंड में इस साल के अंत में विधानसभा के चुनाव होने हैं.
हालांकि, हेमंत ने चंपई को हटाकर चुनाव से पहले झारखंड की बागडोर खुद के हाथों में लेने का फैसला किया. चंपई इस फैसले से काफी नाराज हुए. कहा जाता है कि इसके बाद चंपई संगठन का पद चाहते थे, लेकिन उन्हें हेमंत सोरेन ने अपने अंदर मंत्री बनने के लिए कहा. चंपई मंत्री तो बन गए, लेकिन तब से ही वे नाराज बताए जा रहे हैं.
चंपई सोरेन पर डोरे डाल रही है बीजेपी
चंपई सोरेन के पार्टी छोड़ने की चर्चा के बीच बीजेपी के तरफ से बयान आना शुरू हो गया है. शुक्रवार को झारखंड बीजेपी के सह चुनाव प्रभारी और असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने चंपई की तारीफ की. हिमंता ने कहा कि हेमंत सोरेन से ज्यादा जेएमएम पर चंपई सोरेन का अधिकार है.
झारखंड बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने भी चंपई को लेकर बयान दिया है. प्रकाश ने कहा है कि चंपई जैसे वरिष्ठ नेताओं के साथ जेएमएम में जिस तरह का व्यवहार हो रहा है, वो गलत है.
झारखंड की राजनीति में चंपई कितने मजबूत?
4 सरकारों में मंत्री और एक बार मुख्यमंत्री रह चुके चंपई सोरेन झारखंड मुक्ति मोर्चा के कद्दावर नेता माने जाते हैं. क्षेत्रीयता के हिसाब से झारखंड को 5 भागों में बांटा गया है. संथाल परगना, उत्तरी छोटानागपुर, दक्षिणी छोटानागपुर, कोल्हान और पलामू.
चंपई कोल्हान इलाके से आते हैं और उन्हें झारखंड में कोल्हान टाइगर के नाम से भी जाना जाता है. कोल्हान में विधानसभा की 14 और लोकसभा की 2 सीटें आती हैं. 2019 में विधानसभा की 14 में से 13 सीटों पर जेएमएम और कांग्रेस को जीत मिली थी. हालिया लोकसभा चुनाव में जेएमएम ने कोल्हान की दो में से एक सीट पर जीत दर्ज की थी.