नई दिल्ली । नोएडा में एक नौजवान प्रदीप मेहरा के सेना में भर्ती होने के लिए आधी रात को सड़क पर दौड़ने की घटना ने सेना की भर्तियों को एक बार फिर चर्चा में ला दिया है। पिछले दो साल से देश में कोरोना के बीच बड़े-बड़े चुनाव हो रहे हैं, लेकिन सेना में भर्तियां बंद हैं। इस बीच खबर यह है कि सेना में जवानों के रिक्त पदों की संख्या एक लाख से भी अधिक हो चुकी है। सरकार ने कोरोना महामारी से आपदा प्रबंधन अधिनियम के प्रावधानों को भी हटा दिया है, लेकिन सेना में भर्ती कब खुलेगी, यह अभी तक स्पष्ट नहीं है। हाल में इस मुद्दे पर राज्यसभा में एक प्रश्न के जवाब में सरकार की तरफ से स्वीकार किया गया है कि 2021-21 और 2021-22 के दौरान सेना में कोरोना महामारी के चलते भर्ती रैलियां नहीं हो सकीं। जानकारों के अनुसार, हर साल भारतीय सेना से 50-60 हजार जवान सेवानिवृत्त होते हैं। और करीब इतनी ही नई भर्तियां होती हैं। इसके लिए साल में 90-100 भर्ती रैलियां आयोजित की जाती हैं, जो देश के अलग-अलग हिस्सों को कवर करते हुए की जाती हैं। एक रैली छह-आठ जिलों को कवर करती है। लेकिन पिछले दो सालों से यह रैलियां बंद हैं। रैलियों में भीड़ होती हैं, इसलिए रैलियां बंद की गईं। लेकिन भीड़ वाले तमाम कार्यक्रम जिनमें चुनाव भी शामिल है, वे होते रहे हैं। रक्षा मंत्रालय की तरफ से आधिकारिक रूप से जवानों के 81 हजार पद 1 जनवरी 2022 तक रिक्त होने की बात कही गई है लेकिन अब यह संख्या बढ़कर एक लाख से भी अधिक हो जाने का अनुमान है। सेना के सूत्रों ने कहा कि भर्ती नहीं होने से खाली पदों का बैकलॉग बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि एक बार भर्ती प्रक्रिया पूरी होने के बाद जवान को ट्रेनिंग देकर तैनाती के योग्य बनाने में कम से कम दो साल का समय लगता है। इसलिए इस मामले में जितना विलंब होगा, उतने ही खाली पदों का संकट बढ़ेगा
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