ब्रेकिंग
एअर इंडिया विमान को मिली बम की धमकी, बर्मिंघम से दिल्ली जा रही थी फ्लाइट ईरान 5 साल में परमाणु देश बन जाएगा… अमेरिकी हमले के बाद ऐसा क्यों बोले असदुद्दीन ओवैसी मैं CM बनना चाहता हूं, खुलकर बोलें चिराग… तेजस्वी का पासवान पर तंज पहले कार से टक्कर मारी, फिर उतरकर कर्नल को मारे थप्पड़… दारोगा के खिलाफ FIR छत्तीसगढ़ में बारिश में भी पूरी ताकत से चलेगा एंटी नक्सल ऑपरेशन, 31 मार्च, 2026 तक होगा खात्मा… अमित... दिल्ली पुलिस ने कुख्यात गैंगस्टर ‘पम्पू’ को किया अरेस्ट… हत्या, डकैती और लूटपाट जैसे 16 केस में था व... बिहार चुनाव से पहले चुनाव आयोग का बड़ा फैसला, घर-घर जाकर वोटर लिस्ट का होगा सत्यापन कुवैत से पैसे मंगवाने हैं… होटल मालिक को दिया झांसा, अकाउंट खुलवाकर कर दिया 11 लाख का खेला अब बल्लू उगलेगा सोनम के सारे राज… सिक्योरिटी गार्ड को शिलॉन्ग ले गई पुलिस, मिलेंगे अहम सुराग ऑपरेशन सिंदूर जारी, आंख उठाने वालों को मिलेगा मुंहतोड़ जवाब… NIA की कामयाबी पर बोले पीयूष गोयल
मध्यप्रदेश

दिल्ली में पर्यावरण पर CAG रिपोर्ट पेश, निगरानी और नियंत्रण में मिलीं कई खामियां

दिल्ली की रेखा गुप्ता सरकार ने मंगलवार को वायु प्रदूषण को लेकर CAG की रिपोर्ट को विधानसभा में पेश कर दिया है. कैग की रिपोर्ट में कई तरह की खामियां गिनाई गई हैं. रिपोर्ट के कुछ प्वाइंट्स सामने आए हैं जो कि हैरान कर देने वाले हैं. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि सतत परिवेशी वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशनों (CAAQMS) की संख्या CPCB मानकों के अनुसार नहीं थी जिसकी वजह से जिससे AQI डेटा अविश्वसनीय रहा.

वायु गुणवत्ता निगरानी प्रणाली को लेकर जारी रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि उचित वायु गुणवत्ता निगरानी के लिए आवश्यक प्रदूषक सांद्रता डेटा उपलब्ध नहीं था, लेड स्तर की माप नहीं की गई. प्रदूषण स्रोतों पर वास्तविक समय का डेटा उपलब्ध नहीं होने के कारण आवश्यक अध्ययन नहीं किए गए. वाहनों से होने वाले उत्सर्जन का कोई आकलन नहीं किया गया, जिससे स्रोत-विशिष्ट नीतियां बनाने में कठिनाई हुई. 24 निगरानी स्टेशनों में से 10 में बेंजीन स्तर अनुमेय सीमा से अधिक पाया गया, लेकिन पेट्रोल पंपों से होने वाले उत्सर्जन की प्रभावी निगरानी नहीं की गई.

सार्वजनिक परिवहन में भी मिली खामियां

रिपोर्ट में वायु प्रदूषण को कंट्रोल करने के लिए सार्वजनिक परिवहन के लिए जो व्यवस्था बनाई गई थी उसमें भी खामियां गिनाई गई हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि सार्वजनिक परिवहन बसों की कमी (6,750 उपलब्ध बनाम 9,000 आवश्यक) थी. बस प्रणाली में संचालन की अक्षमताएं, जैसे कि बसों का ऑफ-रोड रहना और तर्कहीन मार्ग योजना भी शामिल है. इसके अलावा 2011 के बाद से ग्रामीण-सेवा वाहनों की संख्या में कोई वृद्धि नहीं हुई, जबकि जनसंख्या बढ़ती रही, पुराने वाहन प्रदूषण में योगदान देते रहे. वहीं, वैकल्पिक सार्वजनिक परिवहन (मोनोरेल, लाइट रेल ट्रांजिट, ट्रॉली बस) के लिए आवंटित बजट का 7 साल तक इस्तेमाल नहीं किया गया.

बसों की सही समय पर नही की गई जांच

रोकथाम और प्रवर्तन रणनीतियों पर भी कैग की रिपोर्ट में टिप्पणी की गई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि सार्वजनिक परिवहन बसों की अनिवार्य रूप से माह में दो बार उत्सर्जन जांच नहीं की गई. प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र (PUCC) जारी करने में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं, जिसमें अत्यधिक उत्सर्जन वाले वाहन भी पास कर दिए गए. प्रदूषण जांच केंद्रों (PCC) का कोई निरीक्षण या तृतीय-पक्ष ऑडिट नहीं किया गया.आधुनिक तकनीक, जैसे कि रिमोट सेंसिंग डिवाइस, को अपनाने में देरी की गई.

वाहन फिटनेश पर भी नहीं दिया गया ध्यान

इसके अलावा अधिकांश वाहन फिटनेस परीक्षण मैन्युअल रूप से किए गए, जिनमें उचित उत्सर्जन परीक्षण का अभाव था. 2018-19 में 64 फीसदी वाहन, जो फिटनेस परीक्षण के लिए नियत थे, परीक्षण के लिए नहीं पहुंचे.वहीं, स्वचालित वाहन निरीक्षण इकाइयों का न्यूनतम उपयोग, बिना उचित परीक्षण के फिटनेस प्रमाण पत्र जारी किए गए. सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन करते हुए BS-III और BS-IV वाहनों का अनधिकृत पंजीकरण भी इसमें शामिल रहा.

Related Articles

Back to top button