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मोदी पर मेहरबान शशि थरूर ने लांघी ‘लक्ष्मण रेखा’…फिर कांग्रेस क्यों नहीं ले रही एक्शन?

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जम्मू-कश्मीर के पहलगाम हमला और ‘ऑपरेशन सिंदूर’पर सरकार के साथ कांग्रेस खड़ी दिख रही थी , लेकिन पाकिस्तान के साथ युद्धविराम की घोषणा के बाद उसके तेवर बदल गए हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध विराम की मध्यस्थता कराने के दावे को लेकर कांग्रेस ने मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है, लेकिन कांग्रेस सांसद शशि थरूर लगातार मोदी सरकार के साथ सुर में सुर मिलाते नजर आ रहे हैं और अपनी पार्टी लाइन से हटकर बयान दे रहे हैं. थरूर के स्टैंड से कांग्रेस असहज हो रही है.

भारत-पाकिस्तान संघर्ष पर शशि थरूर ऐसी टिप्पणियां कर रहे हैं जो कांग्रेस के रुख से अलग हैं. थरूर ने कई मौकों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों और फैसलों की तारीफ की है, जिसे पार्टी का एक धड़ा अपनी विचारधारा के खिलाफ मानता है. कांग्रेस मानती है कि शशि थरूर ने अब तो ‘लक्ष्मण रेखा’ ही पार कर दी है. ऐसे में सवाल उठता है कि पीएम मोदी पर मेहरबान थरूर ने कांग्रेस की अगर लक्ष्मण रेखा लांघ दी है तो फिर पार्टी उनके खिलाफ एक्शन क्यों नहीं ले रही है?

मोदी सरकार पर मेहरबान शशि थरूर

केरल के तिरुवनंतपुरम से लगातार चार बार के लोकसभा सांसद शशि थरूर लगातार पीएम मोदी की नीतियों, खासकर विदेश नीति और आर्थिक फैसलों की तारीफ करने में जुटे हुए हैं. शशि थरूर ने पहलगाम हमले से लेकर ऑपरेशन सिंदूर तक केंद्र सरकार के स्टैंड के साथ मजबूती से खड़े रहे. ऑपरेशन सिंदूर को उन्होंने पाकिस्तान और दुनिया के लिए मजबूत संदेश बताया था. भारत-पाकिस्तान के सीजफायर ट्रंप की मध्यस्थता कराने वाले दावे पर कांग्रेस मोदी सरकार को कठघरे में खड़ी करने में जुटी है तो थरूर सरकार के बजाय ट्रंप पर ही सवाल खड़े करने में जुट गए हैं.

शशि थरूर ने कहा था कि डोनाल्ड ट्रंप ने भारत और पाकिस्तान को गलत तरीके से एक तराजू में तौलने की कोशिश की है, यह स्तब्ध करने वाला है. भारत आतंकी हमलों का पीड़ित है और पाकिस्तान आतंकवाद का पोषण करने वाला देश है. पाकिस्तान आतंकवाद को बढ़ावा देता है, यह सच्चाई पूरा विश्व जानता है. उन्होंने कहा कि सरकार ने इस बात का ध्यान रखा है कि दूसरे पक्ष को संघर्ष को बढ़ाने का मौका न मिले. भारत ने केवल पहचाने गए आतंकी ठिकानों और लॉन्चपैड पर ही हमला किया हैं. थरूर ने कहा कि भारत ने अमेरिका को मध्यस्थता नहीं करने दी. पाकिस्तान ने ही भारत के हमलों के बाद बातचीत की पहल की थी. इस तरह से अमेरिका के मध्यस्था वाले दावे की पूरी तरह से थरूर नकारते नजर आए.

थरूर ने लांघी कांग्रेस की ‘लक्ष्मण रेखा’?

सांसद शशि थरूर के सियासी स्टैंड से कांग्रेस कश्मकश में पड़ गई है. थरूर जिस तरह से बयान दे रहे हैं उसे लेकर पार्टी के भीतर कुछ लोग विपक्ष की भूमिका को कमजोर करने वाला मान रहे हैं. थरूर ने भारत-पाकिस्तान के मुद्दे पर कुछ ऐसी बातें कहीं हैं जो पार्टी लाइन से अलग हैं. इस वजह से ही पार्टी के कुछ नेता उनसे नाराज हैं. उनका मानना है कि थरूर ने पार्टी की लक्ष्मण रेखा पार कर दी है. कांग्रेस नेताओं जयराम रमेश से थरूर के बयानों पर पूछा गया तो उन्होंने कहा कि यह उनकी राय है. जब थरूर साहब बोलते हैं, तो यह पार्टी की राय नहीं होती है.

दरअसल, कांग्रेस ने पहलगाम हमला और ऑपरेशन सिंदूर पर मोदी सरकार को समर्थन दिया था, लेकिन सीजफायर को लेकर सरकार को घेरने में जुटी है. कांग्रेस जानना चाहती है कि ‘सीजफायर’ कैसे हुआ और इसमें अमेरिका की क्या भूमिका थी. जयराम रमेश ने कहा कि पिछले कुछ दिनों से कांग्रेस पार्टी पूछ रही है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर की घोषणा क्यों की? ऐसा पहली बार हो रहा है कि पीएम मोदी इस पर कुछ नहीं बोलते. अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो कहते हैं कि अमेरिका की भूमिका इतनी महत्वपूर्ण थी कि उनकी वजह से यह युद्ध रुका. विदेश मंत्री डॉ जयशंकर इसका जवाब भी नहीं देते.

इस तरह कांग्रेस लगातार मोदी सरकार को घेर रही है, लेकिन थरूर पूरी तरह से मोदी सरकार के साथ खड़े हैं. थरूर को लेकर कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि शशि थरूर जरूर कभी-कभी सीमा लांघ जाते हैं, पार्टी को असहज कर देते हैं. CWC की बैठक में उन्होंने पार्टी के रुख का समर्थन पूरी ताकत से किया है. उनके खिलाफ कार्रवाई का फिलहाल कोई विचार नहीं है. वो पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं. सभी नेताओं से पार्टी लाइन का पालन करने की उम्मीद है. इसके बाद थरूर ने कहा कि मैं पार्टी का प्रवक्ता नहीं हूं. इस वक्त हमें देश के लिए खड़ा होना चाहिए, खासतौर पर अंतरराष्ट्रीय पटल पर. इसके बाद भी कांग्रेस ने तय किया है कि थरूर के खिलाफ किसी भी तरह की कोई भी एक्शन लेने का विचार नहीं है.

थरूर पर एक्शन लेने से क्यों बच रही कांग्रेस?

शशि थरूर के बयान से जरूर कांग्रेस असहज हो रही है, लेकिन कोई भी कार्रवाई नहीं करना चाहती है. थरूर पर एक्शन लेकर कांग्रेस किसी भी तरह के आंतरिक विवाद में फिलहाल नहीं पड़ना चाहती है. थरूर एक प्रभावशाली नेता हैं और उनकी अंतरराष्ट्रीय छवि और बौद्धिक क्षमता को पार्टी महत्व देती है. मुश्किल यह है कि केरल में साल 2026 में विधानसभा चुनाव है. ऐसे में पार्टी कोई जोखिम नहीं उठाना चाहती, क्योंकि 9 सालों से पार्टी सत्ता से बाहर है. थरूर पर कार्रवाई करने का सीधा असर केरल की राजनीति पर पड़ेगा, क्योंकि उनका युवाओं और शहरी मतदाताओं पर मजबूत पकड़ मानी जाती है.

केरल में कांग्रेस लगातार दो बार से सत्ता से बाहर है. इसलिए पार्टी बहुत फूंक-फूंक कर कदम रख रही है. केरल कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि हम थरूर को चुप नहीं करा रहे हैं, सिर्फ पार्टी की लाइन पर बयान देने की बात कह रहे हैं. प्रदेश कांग्रेस नेता मानते हैं कि थरूर के खिलाफ कार्रवाई से रणनीति बिगड़ सकती है. कांग्रेस नेता मानते हैं कि विधानसभा चुनावों को देखते हुए कई राजनीतिक दल उन्हें लुभाने की कोशिश करेंगे.

शशि थरूर नायर समुदाय से आते हैं और यह केरल की प्रभावशाली ऊंची जाति मानी जाती है. ऐसे में पार्टी को तिरुवनंतपुरम और आसपास की सीट पर नुकसान हो सकता है. विधानसभा में यह नुकसान बढ़ जाएगा. माना जा रहा है कि थरूर पार्टी छोड़ते हैं, तो विधानसभा में तिरुवनंतपुरम की सात विधानसभा सहित कई दूसरी शहरी सीट पर भी इसका असर पड़ेगा. ऐसे में कांग्रेस से अलग होने के बाद शशि थरूर भाजपा या वाम मोर्चा की तरफ जाते हैं, तो पार्टी के वोट शेयर पर भी असर पड़ सकता है. ऐसे में कांग्रेस थरूर पर एक्शन लेने के बजाय पार्टी लाइन पर लाना चाहती है.

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