Local & National News in Hindi
ब्रेकिंग
बाढ़ में पिता की मौत, मां-दादी भी लापता… कौन है 10 महीने की नीतिका, जो हिमाचल की बनी चाइल्ड ऑफ द स्ट... जवानों की बड़ी राहत, ऑपरेशन में घायलों को भी मिलेगी फुल सैलरी, प्रमोशन भी पा सकेंगे, गृह सचिव का ऐला... भारत तो भारत है, इसका अनुवाद न हो… इंडिया vs भारत पर मोहन भागवत ने समझा दिया मूलमंत्र आवारा कुत्तों से शहर परेशान, बच्चे चुका रहे कीमत… रिपोर्ट पर सुप्रीम कोर्ट ने लिया स्वत: संज्ञान हम दुश्मन नहीं, केंद्र ने क्रिकेट खेलने का फैसला अच्छा किया… महबूबा मुफ्ती का छलका पाकिस्तान प्रेम जम्मू-कश्मीर: श्रीनगर में सेना का ‘ऑपरेशन महादेव’, 3 आतंकियों को किया ढेर, पहलगाम हमले के हो सकते है... बंगालियों को किया जा रहा परेशान… ममता बनर्जी ने कहा- दिल्ली पुलिस ने महिला और बच्चे से की मारपीट ‘डेरिंग दादी’ का कारनामा तो देखिए; 8 फीट लंबे सांप को यूं दबोचा, फिर गले में लपेट लिया बिहार में जिन लाखों मतदाताओं के नाम सूची से हटे उनके पास अब क्या विकल्प? 1 अगस्त से कैसे जुड़वा पाएं... जिसमें फैसले लेने की क्षमता उसे ही सर्वदलीय बैठक में भेजा करें… संसद में विपक्ष का हंगामा, अखिलेश या...

जनरल रावत बोले- उधार में ली गई ताकत पर निर्भर नहीं रह सकती भारत की क्षेत्रीय महाशक्ति की आकांक्षा

19

प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत ने शुक्रवार को कहा कि क्षेत्रीय शक्ति बनने की भारत की आकांक्षा ‘उधार में ली गई ताकत’ पर निर्भर नहीं रह सकती और राष्ट्र को युद्ध जीतने के लिए स्वदेशी हथियारों तथा तकनीक की जरूरत होगी।

इलेक्ट्रॉनिकी एवं दूरसंचार अभियंताओं के संस्थान द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि भारत में रक्षा वाणिज्य उद्योग के पारिस्थितिकी तंत्र की प्रकृति ऐसी है जिससे रक्षा उपकरणों के उत्पादन की क्षमता बाधित होती है।

जनरल रावत ने कहा, “यदि हमें भविष्य के युद्ध लड़ने और जीतने हैं तो हम आयात पर निर्भर नहीं रह सकते। इसलिए आगे का रास्ता स्वदेशीकरण का है और सशस्त्र सेनाओं में हम इसके लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं।” उन्होंने कहा, “क्षेत्रीय शक्ति बनने की हमारे देश की आकांक्षा उधार में ली गई ताकत पर निर्भर नहीं रह सकती… भारत को अपने युद्धों को भारतीय तरीकों से लड़ना होगा।”

प्रमुख रक्षा अध्यक्ष ने कहा कि सूचना की व्यापकता और प्रौद्योगिकी में हो रहे परिवर्तन युद्ध के मूल चरित्र को बदल रहे हैं और ऐसे तरीकों का इजाद कर रहे हैं जिनसे बिना आमने-सामने लड़े युद्ध किये जाएंगे। उन्होंने कहा कि सशस्त्र सेनाओं को भविष्य के युद्धों के लिए तैयार रहना चाहिए।

Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.