वाशिंगटन। एक देश की नासमझी इस वक्त कैसे पूरी दुनिया भुगत रही है यह कोरोना वायरस के संकट ने बता दिया है। चीन ने कोरोना मामले में लापरवाही बरती और उसका खामियाजा पूरी दुनिया को उठाना पड़ा। एक बार फिर से चीन में कोरोना का विस्फोट देखने को मिल रहा है। अस्पतालों में जगह नहीं है। श्मशान में लाशों का अंबार लगा है। दावा किया जा रहा है कि अगले तीन महीनों में चीन की 60 प्रतिशत आबादी कोरोना संक्रमित हो चुकी होगी। चीन में ओमीक्रोन का सबवेरिएंट बीएफ.7 कहर बरपा रहा है। चीन की हालत पर भारत समेत बाकी देशों की नजर है।
संयुक्त राज्य अमेरिका ने कोविड-19 वायरस के एक नए म्यूटेशन की संभावना पर अपनी चिंता व्यक्त की है। दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देश चीन में संख्या नियमित रूप से बढ़ रही है भले ही कई देशों ने महामारी प्रसार को रोक दिया है। लेकिन हालात चिंताजनक नजर आ रहे हैं। मीडिया को संबोधित करते हुए अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा कि सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण जब भी दुनिया भर में कहीं भी बीमारी फैलती है और मृत्यु होती है तो हम ऐसी स्थिति को समाप्त होते देखना चाहते हैं। जब बात कोविड की आती है तो हम जानते हैं कि वायरस का प्रसार कभी भी हो सकता है। हमने देखा है कि इस वायरस के कई अलग-अलग म्यूटेशन के दौरान और निश्चित रूप से एक और कारण है कि हम दुनिया भर के देशों को कोविड से निपटने में मदद करने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।
भारत में चीन के मुकाबले स्थिति बेहद अच्छी है। अब तक कोरोना वायरस की तीन लहरें झेलने वाले भारत के लिए डेल्टा वैरिएंट की सबसे ज्यादा खतरनाक साबित हुई थी जिसके परिणाम स्वरूप दूसरी लहर देखने को मिली थी। हालांकि पिछले कुछ महीनों की स्थिति पर नजर डालें तो ये काफी बेहतर और नियंत्रित स्थिति में है। बीएफ7 समेत चीन में ओमीक्रोन के जो भी वैरिएंट्स फैल रहे हैं वे भारत के लिए नए नहीं हैं। सार्क कोव-2 पर बने जीनॉमिक कंसोर्टियम उंसाकोग ने ऐसे स्ट्रेन्स के मामलों का पता लगाया है। यहां कई महीनों में बीएफ7 मौजूद हैं मगर चीन जैसी चिंताजनक स्थिति पैदा नहीं कर सका।