नई दिल्ली। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने कहा है कि 26/11 मुंबई आतंकी हमले के बाद सुरक्षा मामलों पर मंत्रिमंडल की समिति ने फरवरी 2009 में तटीय एवं अपतटीय नौसेना परिसम्पत्तियों की सुरक्षा व्यवस्था को तीन वर्षो में सुदृढ़ बनाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी लेकिन इसके लिये अनुकूल एवं सहयोगी ढांचा तैयार करने में देरी ने इस पहल को ‘कमजोर’ किया। संसद में पेश कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि सागर प्रहरी बल (एसपीबी) में तीव्र अंतरग्रहण पोत (एफआईसी) को13 से 61 महीने की देरी से शामिल किया गया। सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडल समिति द्वारा संकल्पित आधारभूत ढांचे कई नौसैन्य बंदरगाहों को पिछले जून तक उपलब्ध नहीं थे।
इसमें कहा गया है कि मुंबई 26:11 आतंकी हमले के बाद सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडल समिति (फरवरी 2019) द्वारा तीन साल के भीतर सागर प्रहरी बल गठित करने तथा तटीय एवं अपतटीय नौसेना परिसम्पत्तियों की सुरक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने का महत्व इसके लिये अनुकूल एवं सहयोगी ढांचा तैयार करने में देरी के कारण कमजोर हुआ।
कैग ने बताया कि बूस्ट गैस टर्बाइन (बीजीटी) नौसेना के निर्देशों के तहत तय मात्रा से अधिक रखा गया। इसके साथ ही बीजीटी का आर्डर देने से पहले जहाजों को सेवा से हटाने और स्टॉक की स्थिति को भी ध्यान में नहीं रखा गया। इसके परिणामस्वरूप 213.96 करोड़ रूपये मूल्य के नए खरीदे गए बीजीटी का अधिशेष हो गया।