भोपाल । हमीदिया रोड स्थित इसरानी-बैनर्जी मार्केट के विस्थापित सिंधी परिवारों को पिछले दिनों आखिरकार उनकी संपत्ति के पट्टे मिल गए, लेकिन बैरागढ़ के विस्थापित परिवारों को अभी तक पट्टे नहीं मिल सके है। देश के विभाजन के दौरान तत्कालीन पश्चिम पाकिस्तान से आकर संत हिरदाराम नगर में बसे कई परिवारों को अभी तक उनकी संपत्ति के पट्टे नहीं मिलते हैं। कुछ लोगों को पट्टे मिले भी तो उनकी समय अवधि समाप्त हो गई है। अब इनका नवीनीकरण नहीं हो पा रहा है। नागरिकों की यह आम शिकायत रही है किउनके प्रकरणों को प्रशासनिक स्तर पर खारिज कर दिया जाता है। कई मामलों में पुराने दस्तावेज मांगे जाते हैं, जो लोगों के पास नहीं है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बलिदानी हेमू कालानी जन्म शताब्दी समारोह में आरएसएस के सरसंघचालक डा. मोहन भागवत की मौजूदगी में कहा था कि विस्थापितों को पट्टे देने के लिए विशेष शिविर लगाया जाएगा। उनकी घोषणा के डेढ़ माह बाद भी प्रशासन ने शिविर नहीं लगाया है।
कब्जे के आधार पर मिलें पट्टे
पूज्य सिंधी पंचायत ने मौजूदा कब्जे के आधार पर पट्टे देने का सुझाव दिया है। पंचायत के महासचिव माधु चांदवानी एवं नंद कुमार दादलानी का कहना है कि बैरागढ़, गांधीनगर एवं करोंद आदि क्षेत्र के पट्टों से संबधित प्रकरण अब भी लंबित हैं, हमने कई बार इसके लिए जिला प्रशासन से आग्रह किया है लेकिन प्रशासन ध्यान नहीं दे रहा है। यह चिंता की बात है।
उल्लेखनीय है कि बैरागढ़ में बसाहट के समय प्रशासन ने नागरिकों को पट्टे दिए थे। उनकी अवधि अब समाप्त हो चुकी है। कुछ लोगों ने बढ़े हुए हिस्से के लिए नया पट्टा देने के आवेदन भी किए हैं। नवीनीकरण नहीं होने के कारण नए धारणाधिकार कानून का लाभ भी लोगों को नहीं मिल रहा है। इस कानून के तहत कुछ प्रीमियम लेकर बढ़े हुए हिस्से को फ्रीहोल्ड करने का प्रविधान है।