बिलासपुर | छत्तीसगढ़ में स्मार्ट सिटी कंपनियों के निर्वाचित संस्थाओं के अधिकार हड़पने वाली जनहित याचिकाओं पर हाईकोर्ट ने सुनवाई पूरी हो गई। इसके बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस दीपक कुमार तिवारी की बेंच ने तीन दिनों तक याचिकाओं पर सुनवाई की। अधिवक्ता विनय दुबे की ओर से दायर जनहित याचिका में बिलासपुर और रायपुर नगर में कार्यरत स्मार्ट सिटी लिमिटेड कंपनियों को चुनौती दी गई है।
जनहित याचिका में कहा गया है कि, स्मार्ट सिटी लिमिटेड कंपनियों ने निर्वाचित नगर निगमों के सभी अधिकारों और क्रियाकलाप का असंवैधानिक रूप से अधिग्रहण कर लिया है। जबकि ये सभी कंपनियां विकास के वही कार्य कर रहीं जो संविधान के तहत संचालित प्रजातांत्रिक व्यवस्था में निर्वाचित नगर निगमों के अधीन है। पिछले पांच सालों में कराए गए कार्य की प्रशासनिक या वित्तीय अनुमति नगर निगम मेयर इन काउंसिल या सामान्य सभा से नहीं ली गई है।
याचिका में यह भी कहा गया है कि, कंपनी का स्वामित्व राज्य शासन और निगम की 50 फीसदी भागीदारी होने के बाद भी राज्य सरकार का है। अधिकारियों को ही डायरेक्टर बनाया गया है, यह स्थानीय निकाय को कमजोर करने का प्रयास है। मामले पर तीन मई को बहस शुरू हुई थी। इस दौरान याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव और स्मार्ट सिटी कंपनियों की तरफ से अधिवक्ता सुमेश बजाज ने पक्ष रखा। सुनवाई पूरी होने के बाद हाई कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षि रखा है।