राजस्थान में मारवाड़ के बाड़मेर में मिले तेल और गैस के विशाल भंडारों के बाद अब राजस्थान के नागौर ने भारत की कीर्ति दुनियाभर में बढ़ाई है। नागौर के डेगाना में लिथियम का महाभंडार खोजा गया है। भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण संस्थान ने दावा किया है कि लिथियम का यह नया भंडार जम्मू-कश्मीर में मिले भंडार से भी बड़ा है। इससे देश में लिथियम की कुल मांग का 80 फ़ीसदी तक पूरा किया जा सकता है।
राजस्थान में लिथियम के नए भंडार खोजे जाने से देश की इलेक्ट्रॉनिक व्हीकल (EV), मोबाइल फोन और इलेक्ट्रिक उपकरण इंडस्ट्री में खुशी का माहौल है। क्योंकि देश में लिथियम के प्रोडक्शन से इलेक्ट्रिक बस, कार, स्कूटर, बाइक, मोपेड और ई-रिक्शा की बैटरी के लिए जरूरी लिथियम स्थानीय स्तर पर ही उपलब्ध हो जाएगा। इसके अलावा मोबाइल, ई-पैड, ई-पॉड, इनवर्टर, टॉर्च, रेडियो, बैटरी बल्ब, इलेक्ट्रिक लालटेन, मेडिकल डिवाइसेस और लिथियम आयन बैटरी से चलने वाले उपकरणों में भी इसका इस्तेमाल होगा, जिससे इनकी कीमतों में काफी गिरावट आने की संभावना बन गई है।
डेगाना और उसके आसपास के इलाके में रेनवाट की पहाड़ी में लिथियम भंडार पाए गए हैं। यहां से कभी टंगस्टन खनिज की सप्लाई देश में की जाती थी। ब्रिटिश शासन काल के दौरान अंग्रेजों ने 1914 में रेनवाट की पहाड़ी पर टंगस्टन की खोज की थी। प्रथम विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटिश सेना की युद्ध सामग्री बनाने में टंगस्टन का इस्तेमाल किया गया था। राजस्थान से पहले भी देश में लिथियम जम्मू कश्मीर, छत्तीसगढ़ और कर्नाटक में खोजा जा चुका है। छत्तीसगढ़ में इसकी माइनिंग की तैयारी भी की जा रही है। लेकिन राजस्थान में मिला भंडार सबसे बड़ा बताया जा रहा है और यह देश की 80 फीसदी तक डिमांड पूरी कर सकता है।