भारतीय वायुसेना का मिग-21 लड़ाकू विमान सोमवार सुबह राजस्थान के हनुमानगढ़ में एक घर पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जिसमें तीन महिलाओं की मौत हो गई। जबकि मिग-21 जेट के दोनों पायलट सुरक्षित हैं। हालांकि, इस घटना के बाद मिग-21 को लेकर फिर सवाल खड़े होने शुरू हो गए हैं। 60 साल तक भारतीय वायु सेना का हिस्सा रहने के बाद भी इस लड़ाकू विमान पर ही क्यों भरोसा जताया जा रहा है।
50 से अधिक लड़ाकू विमान हुए हादसे का शिकार
दरअसल, पिछले पांच सांलों में 50 से अधिक लड़ाकू विमान और हेलिकॉप्टर दुर्घटनाओं में लगभग 55 सैन्य कर्मियों की मौत हुई है। पुराने मिग-21 विमानों के साथ-साथ चीता/चेतक हेलीकाप्टरों ने पिछले कुछ सालों के दौरान एक खतरनाक क्रैश रिकॉर्ड दर्ज किया है।
1960 के दशक में डिजाइन किए गए थे लड़ाकू जेट
बता दें कि मिग-21 और चीता/चेतक हेलीकॉप्टर दोनों को ही 1960 के दशक में डिजाइन किया गया था। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इन लड़ाकू जेट या हेलीकॉप्टरों ने अपनी उपयोगिता को समय-समय पर साबित किया है, लेकिन नए सैनिकों को शामिल किए जाने के अभाव में सशस्त्र बल क्या ही कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि पुराने लड़ाकू जेट या हेलीकॉप्टरों में सुरक्षा सुविधाओं की कमी, पायलटों के साथ-साथ तकनीशियनों के अपर्याप्त प्रशिक्षण और पर्यवेक्षण, खराब रखरखाव और गुणवत्ता नियंत्रण की कमी ही हादसे की दरों का कारण बनते हैं।
90 प्रतिशत दुर्घटनाओं के लिए जिम्मेदार तकनीकी खामी है वजह
रिपोर्टों में कहा गया है कि पायलट/तकनीकी चालक दल और तकनीकी दोष ही लगभग 90 प्रतिशत दुर्घटनाओं के लिए जिम्मेदार हैं, जिनमें पक्षी हमले और अन्य कारण भी शामिल हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि जवाबदेही ठीक से तय होने के बाद सुधारात्मक और कड़ी कार्रवाई के साथ जांच और संतुलन की अधिक मजबूत प्रणाली की जरूरत है।
मिग-21 उड़ाने को मजबूर हैं पायलट!
बताते चलें कि सशस्त्र बल चीता और चेतक बेड़े को बदलने के लिए दो दशकों से 498 नए लाइट यूटिलिटी हेलीकॉप्टर की मांग कर रहे हैं, लेकिन अभी तक इस ओर ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया है। हालांकि, भारतीय वायु सेना के पायलट सोवियत मूल के मिग-21 विमान उड़ाने के लिए मजबूर हैं, जिन्हें 1963 में भारतीय वायु सेना में शामिल किया गया था। हालांकि, बाद के वर्षों में इसे अपग्रेड जरुर किया गया है।
200 से अधिक पायलटों की हुई अब तक मौत
पिछले कुछ वर्षों में कम से कम सात मिग-21 दुर्घटनाग्रस्त हो गए हैं, जिसमें पांच पायलटों की मौत हुई थी। बता दें कि भारतीय वायुसेना में शुरुआत में 872 मिग-21 को शामिल किया गया था। हालांकि, 400 से अधिक विमान 1971-72 के बाद से दुर्घटनाओं में हादसे का शिकार हुए हैं। इनमें 200 से अधिक पायलटों और 50 नागरिकों की मौत हुई है।