हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवशयनी एकादशी आती है और इस दिन व्रत -उपवास व भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। इस एकादशी को सालभर आने वाली 25 एकादशी में से एक बड़ी एकादशी कहा जाता है। इस साल देवशयनी एकादशी 29 जून, गुरुवार के दिन पड़ रही है।
धार्मिक कथाओं के अनुसार, इस दिन से चार महीने तक भगवान विष्णु क्षीरसागर में योग निद्रा में रहते हैं, इसलिए चातुर्मास के चार महीनों में कोई मांगलिक व शुभ कार्य नहीं किये जाते हैं। लेकिन इस समयावधि में जप-तप व आराधना करना बहुत शुभ फलदायी माना जाता है।
वहीं देवशयनी एकादशी के दिन मंत्रों के जाप से विष्णु जी की पूजा करने से किस्मत के द्वार खुल जाते हैं, साथ ही भाग्य में वृद्धि होती है और व्रत-पूजा का पूर्ण फल मिलता है। तो आइए जानते हैं इस दिन किन मंत्रों का जाप करने से क्या लाभ मिलता है।
1. ॐ अं प्रद्युम्नाय नम:
– एकादशी के दिन भगवान विष्णु को तुलसी की माला अर्पित करें और इस मंत्र का एक माला जाप करें। मान्यता है इससे दीर्धायु का वरदान प्राप्त होता है।
2. ॐ आं संकर्षणाय नम:
– देवशयनी एकादशी के दिन केसर में थोड़ा जल डालकर एक थाली में इस मंत्र को लिखें। फिर इसे विष्णु जी के समक्ष रखकर 108 बार इस मंत्र का जाप करें। माना जाता है कि एकादशी के दिन ऐसा करने से धन प्राप्ति के रास्ते खुल जाते हैं।
3. महाप्रसाद जननी, सर्व सौभाग्यवर्धिनी आधि व्याधि हरा नित्यं, तुलसी त्वं नमोस्तुते
– देवशयनी एकादशी की शाम तुलसी में घी का दीपक लगाएं और 11 परिक्रमा लगाते हुए ये मंत्र बोलें। सौभाग्य में वृद्धि के लिए ये मंत्र बहुत शक्तिशाली माना जाता है।
4. ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान।
यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्टं च लभ्यते।।
– विष्णु जी का ये दुर्लभ मंत्र बहुत प्रभावशाली माना जाता है। एकादशी पर श्रीहरि को पीतांबरी चढ़ाएं और फिर 108 बार मंत्र का जाप करें। हर मंत्र के बाद थाली में एक पीला फूल अर्पित करते जाएं।
5. मूलतो ब्रह्मरूपाय मध्यतो विष्णुरूपिणे। अग्रत: शिवरूपाय वृक्षराजाय ते नम:।।
आयु: प्रजां धनं धान्यं सौभाग्यं सर्वसम्पदम्। देहि देव महावृक्ष त्वामहं शरणं गत:।।
– देवशयनी एकादशी के दिन पीपल के पेड़ में कच्चा दूध और जल डालते हुए ये मंत्र बोलें, मान्यता है इससे लक्ष्मी की कभी कमी नहीं होती।