विदिशा। राज्य सरकार हर बच्चे को सरकारी स्कूलों में बेहतर शिक्षा देने का दावा करती है, लेकिन हकीकत ये है कि सरकारी स्कूलों में शिक्षक ही नहीं है। जिले के प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों में 1400 शिक्षकों के पद खाली पड़े हैं, इसलिए इन स्कूलों में बच्चों की पढ़ाई अतिथि शिक्षकों के जिम्मे होती है।
इस वर्ष अब तक इन अतिथि शिक्षकों की भी नियुक्ति नहीं हो पाई है। जिले में यह हालत वर्षों से बने हुए है। शिक्षा विभाग में पदस्थ शिक्षक सेवानिवृत्त होते जा रहे है, लेकिन रिक्त पदों की तुलना में नए शिक्षकों की भर्ती नहीं हो पा रही है।
इसका खामियाजा सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को खराब परीक्षा परिणाम के रूप में भुगतना पड़ रहा है। इसी वर्ष जिले में कक्षा पांचवीं के परीक्षा परिणाम काफी खराब रहा है। इसके बावजूद जिले के सरकारी स्कूलों की दुर्दशा को सुधारने की दिशा में कोई प्रयास नहीं हो रहे हैं।
अंग्रेजी, गणित के शिक्षकों का टोटा
शिक्षा विभाग से मिली जानकारी के अनुसार जिले में 1800 से अधिक प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों में शिक्षकों के 2870 पद स्वीकृत हैं, इनमें से 1470 पद ही भरे गए हैं। 1400 पद लंबे समय से खाली पड़े हैं। इनमें सबसे ज्यादा 719 अंग्रेजी, सामाजिक विज्ञान के 451 और गणित के 351 पद रिक्त पड़े हैं। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि जिले में पदों की रिक्त पूर्ति के लिए लगातार वरिष्ठ कार्यालय से पत्राचार किया जाता है, लेकिन नियुक्ति प्रक्रिया नहीं होने के कारण पद नहीं भरे जा रहे हैं।
जुगाड़ से संचालित हो रहे स्कूल
जिले में एक जुलाई से सभी स्कूलों का संचालन शुरू हो गया, लेकिन अधिकांश स्कूलों में शिक्षकों की कमी के चलते जुगाड़ से बच्चों की पढ़ाई कराई जा रही है। विभागीय सूत्रों के अनुसार स्कूलों में अभी अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हो पाई है।
इस स्थिति में विभागीय अधिकारियों ने आसपास के स्कूलों के एक-एक शिक्षकों को शिक्षक विहीन स्कूलों का जिम्मा सौंप दिया है। एक शिक्षक के भरोसे ही स्कूलों का संचालन किया जा रहा है।
जिला शिक्षा केंद्र के परियोजना समन्वयक एसपी सिंह जाटव का कहना है कि अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति के लिए अभी शासन स्तर से कोई निर्देश नहीं मिले हैं। जिसके कारण वैकल्पिक व्यवस्था बनाकर स्कूलों का संचालन कराया जा रहा है।