महू। महू तहसील के मलेंडी गांव के जंगल में फिर से बाघ ने एक मवेशी का शिकार किया है। इसके साथ ही बढ़िया और मलेंडी के बीच फिर से बाघ के पगमार्क मिले हैं। महू तहसील के महू और मानपुर रेंज में पिछले 60 दिनों से बाघ का मूवमेंट जारी है।
बाघ लगातार अपनी बनाई हुई टेरीटरी घूम रहा है। बाघ के मलेंडी क्षेत्र में तीन बार होने के प्रमाण मिले हैं। इसमें सबसे पहले 14 से 24 मई तक लगातार मलेंडी में देखा गया था साथ ही कई बार ट्रैप कैमरा में भी कैद हुआ। इसके बाद बाघ ने 18 जून को मलेंडी के जंगल में ही बुजुर्ग का शिकार किया।
अब फिर से शुक्रवार 7 जुलाई को फिर मलेंडी और बढ़िया के बीच के जंगल में बाघ के होने के प्रमाण मिले हैं। जिसमें बाघ ने शिकार भी किया है और पग मार्क मिले हैं।
दोपहर को सर्चिंग के दौरान मिले पग चिह्न
जानकारी के अनुसार गुरुवार को बाघ को बड़गोंदा सामाजिक वानिकी विभाग की नर्सरी में बाघ को देखा गया था। जिसके बाद वन विभाग ने बड़गोंदा नर्सरी में 5 नाइट विजन ट्रैप कैमरे लगाए थे। पर वह किसी भी कैमरे में ट्रैप नहीं हुआ। इसके बाद शुक्रवार सुबह एक मवेशी के शिकार करने की जानकारी सामने आई। जिसमें पता चला कि शिकार जंगल में बाघ ने ही किया है। इसके बाद दोपहर में वन विभाग के चौकीदार को सर्चिंग के दौरान दोपहर में बढ़िया और मलेंडी के जंगल में बाघ के पग चिह्न मिले। जिससे यह स्पष्ट हो गया कि बाघ रात को ही बड़गोंदा नर्सरी से निकल गया।
सोमवार से अब तक 4 अलग-अलग जगह तेंदुओं ने किया शिकार
इसी बीच पिछले चार दिनों में महू तहसील में चार मवेशियों के शिकार हो चुके हैं। इसमें से तीन शिकार अलग-अलग जगह अलग-अलग तेदुओं ने किए हैं। जिसको लेकर वन विभाग ने भी पुष्टि की है। इसमें सोमवार रात से शुक्रवार सुबह तक छोटी जाम, जामनिया, कोदरिया और मलेंडी में शिकार किया है।
गुरुवार और शुक्रवार की दरमियानी रात को मलेंडी गांव के जंगल में बाघ ने मवेशी का शिकार किया। मौके से तेंदुए के पगचिह्न भी मिले हैं। दूसरी ओर बुधवार दोपहर को छोटी जाम में तेंदुए ने मवेशी का शिकार किया था। जिसके बाद वन विभाग ने कैमरे लगाए थे। जिसमें गुरुवार रात को तेंदुआ कैमरे में ट्रैप हुआ।
बाघ और तेंदुए दोनों को मिले पगचिह्न
मलेंडी गांव के जंगल में मवेशी का शिकार हुआ है। हमें आसपास से बाघ और तेंदुए दाेनों के पगचिह्न मिले हैं। शिकार करने का तरीका और खाने के तरीके से लग रहा है कि शिकार बाघ ने किया है।
कैलाश जोशी, एसडीओ