नागरिक अधिकार कार्यकर्ताओं ने मणिपुर में दो आदिवासी महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाने और उनके साथ छेड़छाड़ करने का एक वीडियो सामने आने के एक महीने पहले ही इसकी जानकारी राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) को दे दी थी। कार्यकर्ताओं ने एनसीडब्ल्यू को न केवल इस मामले के बारे में, बल्कि हिंसाग्रस्त राज्य में अपहरण, भीड़ के हमले में लोगों की हत्या, आगजनी और यहां तक कि हत्या की घटनाओं के अलावा दुष्कर्म की अन्य क्रूर घटनाओं के बारे में भी सूचित किया था।
राज्य और उत्तरी अमेरिकी मणिपुर जनजातीय संघ का दौरा करने वाले दो कार्यकर्ताओं ने 12 जून को एनसीडब्ल्यू की अध्यक्ष रेखा शर्मा को लिखे गए एक पत्र में दावा किया था कि संघर्ष के दौरान हुई यौन और लिंग-आधारित हिंसा की घटनाओं की खबरों को महत्व नहीं दिया गया तथा ऐसी घटनाओं को लेकर ‘स्तब्ध कर देने वाली चुप्पी’ थी। कार्यकर्ताओं ने बताया कि कैसे मैतेई समुदाय के लोगों की भीड़ ने कुकी-ज़ोमी महिलाओं के साथ दुष्कर्म, यौन हमलों और उनकी हत्याओं को अंजाम दिया। चार मई को, मणिपुर में दो आदिवासी महिलाओं को निर्वस्त्र किया गया, उन्हें नग्न घुमाया गया, पीटा गया और फिर दंगाइयों की भीड़ ने घेरकर लोगों के सामने उनके साथ दुष्कर्म किया।
कार्यकर्ताओं ने पत्र में दावा किया, ‘‘राज्य पुलिस के कमांडो और आम लोगों के सामने दंगाइयों ने हत्या और घरों में आग लगाने की घटनाओं को अंजाम दिया और वे मूकदर्शक बने रहे।” चार मई की इस घटना का वीडियो 19 जुलाई को वायरल होने के बाद, रेखा शर्मा ने स्वत: संज्ञान लिया और दावा किया कि एनसीडब्ल्यू ने मणिपुर के अधिकारियों से संपर्क किया था, लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई। राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने स्वीकार किया है कि अधिकार कार्यकर्ताओं से इस संबंध में उन्हें शिकायत मिली थी। रेखा शर्मा ने कहा, ‘‘हमें वीडियो की प्रामाणिकता की पुष्टि करनी थी।
उनमें से कुछ शिकायतें मणिपुर से नहीं थीं, कुछ तो भारत से भी नहीं थीं। हमने अधिकारियों से संपर्क किया था, उनसे कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली लेकिन जब महिलाओं को निर्वस्त्र घुमाने का यह वीडियो वायरल हुआ तो हमने स्वत: संज्ञान लिया।” कार्यकर्ताओं ने अपने पत्र में रेखा शर्मा से उनके द्वारा सूचीबद्ध कुकी जनजाति की महिलाओं के खिलाफ हिंसा की छह घटनाओं में कार्रवाई करने की अपील की थी। गौरतलब है कि मणिपुर मई की शुरुआत से ही जातीय संघर्ष की चपेट में है। तीन मई को वहां जातीय हिंसा शुरू हुई थी जिसमें 160 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है जबकि कई अन्य घायल हुए हैं।