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मध्य प्रदेश में मानसून पड़ा शिथिल फसलों पर असर अभी तीन-चार दिन बारिश होने के आसार भी नहीं

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भोपाल। अमूमन वर्षा काल में सबसे अधिक बारिश अगस्त में होती है। लेकिन वर्तमान में किसी प्रभावी मौसम प्रणाली के सक्रिय नहीं रहने के कारण प्रदेश में मानसून शिथिल पड़ गया है। राजधानी में तो पिछले पांच वर्ष में इस वर्ष अभी तक अगस्त माह में सबसे कम बारिश हुई है।

मौसम विज्ञानियों का यह है कहना

मौसम विज्ञानियों के मुताबिक अभी तीन-चार दिन तक अच्छी बारिश होने की संभावना नहीं है। बारिश नहीं होने से किसान चिंतित होने लगे हैं।

खरीफ की फसलों पर पड़ सकता है असर

कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि यदि एक सप्ताह तक बारिश नहीं हुई तो खरीफ की सभी फसलों को काफी नुकसान पहुंचने की आशंका है। उधर, शुक्रवार को सुबह साढ़े आठ बजे से शाम साढ़े पांच बजे तक नर्मदापुरम में एक मिलीमीटर बारिश हुई। उज्जैन में बूंदाबांदी हुई।

मौसम का यह है हाल

मौसम विज्ञान केंद्र के मौसम विज्ञानी एसएन साहू ने बताया कि वर्तमान में उत्तर-पूर्वी उत्तर प्रदेश एवं उससे लगे बिहार पर हवा के ऊपरी भाग में एक चक्रवात बना हुआ है। मानसून द्रोणिका वर्तमान में अमृतसर, चंडीगढ़, बहराईच, मुजफ्फरपुर से होते हुए मणिपुर तक जा रही है। पाकिस्तान के आसपास एक पश्चिमी विक्षोभ बना हुआ है। गुजरात के आसपास भी हवा के ऊपरी भाग में एक चक्रवात मौजूद है। इसके अतिरिक्त बंगाल की खाड़ी में आंध्रा के तट पर भी हवा के ऊपरी भाग में एक चक्रवात बना हुआ है।

मौसम प्रणालियों का फिलहाल विशेष असर नहीं

मौसम विज्ञान केंद्र के पूर्व वरिष्ठ मौसम विज्ञानी अजय शुक्ला ने बताया कि अलग-अलग स्थानों पर बनी इन मौसम प्रणालियों का फिलहाल मध्य प्रदेश के मौसम पर विशेष असर नहीं पड़ रहा है। इस वजह से प्रदेश में फिलहाल मानसून की गतिविधियां शिथिल बनी हुई हैं। हालांकि वातावरण में नमी मौजूद रहने एवं हवाओं का रुख पश्चिमी बना रहने से अधिकतर जिलों में आंशिक बादल बने हुए हैं। साथ ही तापमान बढ़ने की स्थिति में कहीं-कहीं बौछारें भी पड़ रही हैं। मौसम का इस तरह का मिजाज अभी तीन-चार दिन तक बना रह सकता है।

सिंचाई का साधन हो तो निंदाई, गुड़ाई के बाद पानी दें

कृषि विशेषज्ञ एवं पूर्व संचालक कृषि डा. जीएस कौशल ने बताया कि मानसून के शिथिल पड़ने से फसलों के सूखने का खतरा बढ़ गया है। यदि एक सप्ताह तक बारिश नहीं हुई तो उड़द, मूंग, अरहर, सोयाबीन, गन्ना, धान आदि की फसलों को काफी नुकसान पहुंचेगा। जिन किसानों के पास साधन हैं, उन्हें खेतों में निंदाई, गुड़ाई करने के बाद सिंचाई शुरू कर देना चाहिए।

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