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सागर। देश के स्वतंत्रता संग्राम में सागर जिले के सेनानियों ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया है। जिले में वर्ष 1942 के समय निकले जुलूसों में कई बार पुलिस और अंग्रेजों ने लाठीचार्ज किया और जेल में भी डाला।

1942 में महात्मा गांधी की अगवानी में चले विभिन्न आंदोलनों में सागर से हजारों लोग शामिल हुए थे। जिले के ऐसे ही 50 से ज्यादा सेनानी और उनके परिवार के लोग हैं जो आजादी के इतिहास की गाथा सुनाते हैं। जिला प्रशासन द्वारा सामान्य प्रशासन विभाग को भेजी जानकारी में जिले के 53 परिवारों की जानकारी दी गई है।

जुलूस निकाला तो हुआ लाठीचार्ज

अगस्त 1942 में देशभर में भारत छोड़ो आंदोलन शुरू हुआ था और सागर में भी हजारों लोग आंदोलन में शामिल हुए। चकराघाट से भी झंडा जुलूस निकाला गया था, जिसमें लोगों ने तिरंगा हाथ में लेकर जुलूस निकाला। शहर के अधिकांश लोगों ने अपने-अपने घरों में तिरंगा झंडा लगाया था।

13 अगस्त को महात्मा गांधी के आह्वान पर सागर के गुजराती बाजार में बहुत बड़ा जुलूस निकाला गया। पुलिस ने इस जुलूस पर जमकर लाठीचार्ज किया। इसके विरुद्ध स्व. मथुरा प्रसाद दुबे की अगुवाई में गिरफ्तारी दी गई। 13 अगस्त 1942 को उन्हें गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया था।

4000 से ज्यादा लोगों को जेल में डाला

जिला प्रशासन के पास स्वतंत्रता संग्राम के दौरान हिस्सा लेने वाले लोगों की पुख्ता जानकारी नहीं है, लेकिन जिले में वर्तमान में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और दुनिया छोड़ चुके सेनानियों के आश्रितों को पेंशन दी जा रही है। असहयोग आंदोलन सहित अन्य आंदोलनों में साढ़े 3 से चार हजार लोगों को जेल में डाला गया था। इसके अलावा विदेशी हुकूमत ने इनमें से कई लोगों की संपत्तियां कुर्क कर ली थीं।

महिलाओं को सरकारी स्कूल में किया बंद

आजादी की लड़ाई में पुरुषों के साथ महिलाओं ने भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया था। महिलाओं और पुरुषों ने मिलकर 1942 में ही एक बार तिरंगा जुलूस निकाला था और अंग्रेजों के समय से बनी सरकारी स्कूल, जो आज एक्सीलेंस स्कूल के नाम से जानी जाती है, उसमें तिरंगा फहराने के लिए सैंकड़ों महिला-पुरुष शामिल हुए थे। इस दौरान लाठियां चलाई गई थीं। महिलाओं को इसी सरकारी स्कूल में बंद कर दिया गया था।

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