केरल के वन विभाग ने चंदन की लकड़ी की ऑनलाइन नीलामी के जरिए इस महीने रिकॉर्ड राजस्व अर्जित किया है। इसकी कमाई का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि चंदन के केवल एक पेड़ की बिक्री से 1.25 करोड़ रुपए की आय हुई। केरल के प्रसिद्ध मरयूर चंदन के पेड़ अपनी अनुपम सुगंध के लिए जाने जाते हैं। अधिकारियों ने बताया कि विभाग को इस नीलामी से 37.22 करोड़ रुपए की आय हुई, जिसमें कर्नाटक सोप्स, औषधि, जयपुर सीएमटी और इंडिया लिमिटेड, केएफडीसी और देवास्वोम बोर्ड जैसी बड़ी कंपनियों और संस्थाओं ने हिस्सा लिया। उन्होंने बताया कि निजी भूमि और वन क्षेत्र से एकत्र की गई चंदन की लकड़ी की यहां नीलामी की गई। उन्होंने कहा कि निजी भूमि से एकत्र की गई चंदन की लकड़ी से हुई आय को संबंधित भूस्वामियों को प्रदान किया जाएगा।
मरयूर के संभागीय वन अधिकारी विनादे कुमार ने कहा, ‘‘मरयूर में एक निजी भूस्वामी के केवल एक चंदन के पेड़ को 1.25 करोड़ रुपए में खरीदा गया। इस पेड़ की केवल जड़ों को 27.34 लाख रुपये में बेचा गया।” उन्होंने कहा कि निजी भूस्वामियों से कुल 4226 किलोग्राम चंदन की लकड़ी एकत्र की गई और इसे तीन करोड़ रुपये से अधिक मूल्य पर बेचा गया। कुमार ने कहा कि इस राशि को भूस्वामियों में वितरित कर दिया जाएगा। मरयूर चंदन की लकड़ी के अलावा केरल के अन्य भागों से एकत्र की गई चंदन की लकड़ी की भी यहां नीलामी की गई। उन्होंने कहा कि अन्य संभागों से एकत्र की गई 9418 किलोग्राम चंदन की लकड़ी की नीलामी की गई। यह इस साल की दूसरी नीलामी है, जिसे दो दिनों के दौरान चार सत्रों में पूरा किया गया।
इस दौरान 15 विभिन्न श्रेणियों में कुल 68.632 टन चंदन की लकड़ी की नीलामी की गई, जिसमें से 30467.25 किलोग्राम लकड़ी बिक गई। चंदन की लकड़ी की नीलामी के पहले दिन 28.96 करोड़ रुपए, जबकि दूसरे दिन 8.26 करोड़ रुपए की आय हुई। कर्नाटक सोप्स ने अकेले 27 करोड़ रुपए खर्च करके 25.99 टन चंदन की लकड़ी खरीदी। इससे पहले इस साल मार्च में की गई चंदन की लकड़ी की नीलामी से 31 करोड़ रुपए की आय हुई थी। मरयूर केरल के मुन्नार हिल स्टेशन से 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, जहां चंदन के पेड़ प्राकृतिक रूप से उगते हैं।