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PM मोदी ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय को उनकी जयंती पर दी श्रद्धांजलि

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि दी है। उनका अंत्योदय और गरीबों की सेवा करने पर जोर, हमें निरंतर प्रेरणा देता है। उन्हें एक असाधारण विचारक और बुद्धिजीवी के रूप में भी याद किया जाता हैं। देश के प्रखर मानवतावादी, चिन्तक और महान सपूत दीनदयाल उपाध्याय जी का जन्मदिन मनाया जाता है। किसी भी देश के युवा जैसे-जैसे अपनी पहचान और गौरव पर गर्व करते हैं, उन्हें, अपने मौलिक विचार और दर्शन उतने ही आकर्षित करते हैं।

दीनदयाल जी के विचारों की सबसे बड़ी खूबी यही रही है कि उन्होंने अपने जीवन में विश्व की बड़ी-बड़ी उथल-पुथल को देखा था। वो विचारधाराओं के संघर्षों के साक्षी बने थे। इसीलिए, उन्होंने ‘एकात्ममानवदर्शन’ और ‘अंत्योदय’ का एक विचार देश के सामने रखा जो पूरी तरह भारतीय था। दीनदयाल जी का ‘एकात्ममानवदर्शन’ एकऐसा विचार है, जो विचारधारा के नाम पर द्वन्द्व और दुराग्रह से मुक्ति दिलाता है। उन्होंने मानव मात्र को एक समान मानने वाले भारतीय दर्शन को फिर से दुनिया के सामने रखा।

हमारे शास्त्रों में कहा गया है – ‘आत्मवत् सर्वभूतेषु’, अर्थात्, हम जीव मात्र को अपने समान मानें, अपने जैसा व्यवहार करें। आधुनिक, सामाजिक और राजनैतिक परिप्रेक्ष्य में भी भारतीय दर्शन कैसे दुनिया का मार्गदर्शन कर सकता है, ये, दीनदयाल जी ने हमें सिखाया। एक तरह से, आजादी के बाद देश में जो हीनभावना थी, उससे आजादी दिलाकर उन्होंने हमारी अपनी बौद्धिक चेतना को जागृत किया। वो कहते भी थे – ‘हमारी आज़ादी तभी सार्थक हो सकती है जब वो हमारी संस्कृति और पहचान की अभिव्यक्ति करे’।

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इसी विचार के आधार पर उन्होंने देश के विकास का vision निर्मित किया था। दीनदयाल उपाध्याय जी कहते थे कि देश की प्रगति का पैमाना, अंतिम पायदान पर मौजूद व्यक्ति होता है। आज़ादी के अमृतकाल में हम दीनदयाल जी को जितना जानेंगे, उनसे जितना सीखेंगे, देश को उतना ही आगे लेकर जाने की हम सबको प्रेरणा मिलेगी।

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