भोपाल । हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व है। हर वर्ष कुल 24 एकादशी तिथियां आती हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को परिवर्तिनी एकादशी कहा जाता है। इसे डोल ग्यारस और जलझूलनी एकादशी भी कहा जाता है। इस बार परिवर्तिनी एकादशी का व्रत 25 और 26 सितंबर को रखा जाएगा। डोल ग्यारस पर शहर में अलग-अलग स्थानों पर चल समारोह निकलेंगे। अलग-अलग चल समारोह में बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल होंगे।
यह है मान्यता
पंडित रामजीवन दुबे ने बताया कि इस तिथि पर भगवान कृष्ण के बाल स्वरूप बाल-गोपाल को एक डोल में विराजित कर शोभा यात्रा निकाली जाती है। इसलिए इसे डोल ग्यारस कहा जाता है। कृष्ण जन्म के अठारहवें दिन माता यशोदा ने उनका जलवा पूजन किया था। इसी दिन को डोल ग्यारस के रूप में मनाया जाता है। जलवा पूजन के बाद ही संस्कारों की शुरुआत होती है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण को डोल में बिठाकर तरह-तरह की झांकी के साथ बड़े ही हर्षोल्लास के साथ जुलूस निकाले जाते हैं। इस दिन भगवान राधा-कृष्ण के नयनाभिराम विद्युत सज्जित डोल निकाले जाते हैं। डोल ग्यारस पर मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु करवट बदलते हैं। इसलिए इसे परिवर्तिनी एकादशी भी कहा जाता है। पंडित विनोद गौतम ने बताया कि इस तिथि पर भगवान विष्णु और उनके आठवें अवतार भगवान श्रीकृष्ण के पूजन का विधान है।
व्रत तिथि
पंडितों के अनुसार परिवर्तिनी एकादशी व्रत इस वर्ष भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 25 सितंबर सोमवार को सुबह 07:55 से प्रारंभ होगी और 26 सितंबर, मंगलवार को सुबह पांच बजे समापन होगा। ऐसे में 25 सितंबर को गृहस्थ वाले व्रत रखेंगे और 26 सितंबर को वैष्णव एकादशी व्रत रखेंगे।
ये शुभ योग
पंडित रामजीवन दुबे ने बताया कि परिवर्तिनी एकादशी के दिन सुकर्मा योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, द्विपुष्कर व रवि योग का शुभ संयोग बन रहा है। सुकर्मा योग 25 सितंबर को दोपहर 03:23 से अगले दिन तक रहेगा। सर्वार्थ सिद्धि योग 25 सितंबर को सुबह 11:55 से प्रारंभ होगी और अगले दिन सुबह 06:11 तक रहेगा। रवि योग सुबह 06:11 से सुबह 11:55 तक रहेगा। द्विपुष्कर योग 26 सितंबर को सुबह 09:42 से देर रात 01:44 तक रहेगा।
डोल ग्यारस व्रत का महत्व
मान्यता है कि इस एकादशी का व्रत करने से वाजपेय यज्ञ के समान पुण्य-फल मिलता है। इस दिन व्रत करने से रोग-दोष आदि से मुक्ति मिलती है। व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि व मान-प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है। इस दिन दान-पुण्य करने से सौभाग्य में वृद्धि होती है। यह व्रत करने से जीवन से सभी कष्टों एवं संकटों का नाश होता है।
बाल गोपाल की पालकी के नीचे से परिक्रमा लगाते हैं श्रद्धालु
डोल ग्यारस के पावन अवसर पर भगवान श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप की शोभा यात्रा निकाली जाती है। बाल गोपाल को पालकी में बिठाकर मंदिरों से यह शोभा यात्रा निकलती है। इस अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु अपने घरों से बाहर निकल भगवान श्रीकृष्ण के दर्शन, पूजा-अर्चना करते हैं और पालकी के नीचे से परिक्रमा लगाते हैं।
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