भोपाल। पितृमोक्ष अमावस्या के साथ ही शनिवार को श्राद्धपक्ष का समापन हो जाएगा। सर्वपितृमोक्ष अमावस्या पर विभिन्न सरोवरों के घाटों पर लोग अपने पितरों का तर्पण कर आशीर्वाद की कामना करेंगे। साथ ही आज शनिश्चरी अमावस्या का भी संयोग बना है। श्रद्धालु शनि मंदिरों में तिल-तेल से शनिदेव का अभिषेक भी करेंगे।
नेहरू नगर स्थित प्राचीन नवग्रह मंदिर नेहरू नगर में शनिदेव मंदिर में सुबह पांच बजे से सार्वजनिक यज्ञ का आयोजन हुआ। मंदिर के पुजारी गजेंद्र धर्माधिकारी ने बताया कि शनिश्चरी अमावस्या के उपलक्ष्य में पितृ दोष निवारण, कालसर्प दोष निवारण, मांगलिक दोष निवारण ,ग्रह शांति निवारण पूजा होगी। बरखेड़ी स्थित प्राचीन शनिदेव मंदिर में सुबह अनुष्ठान और हवन का आयोजन किया जाएगा।
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ऐसे करें पितरों को प्रसन्न
श्राद्ध व तर्पण विधि
पितरों के मोक्ष की कामना से जौ, काला तिल, कुश आदि से मंत्रोच्चार के साथ श्राद्ध कर्म करना चाहिए। इसी तरह पूर्वजों के निमित्त तर्पण का सही तरीका या विधि भी पता होना चाहिए और उसी के मुताबिक तर्पण कर्म करना चाहिए। पितृ पक्ष में हर दिन पितरों के लिए तर्पण करने का विधान है। अमावस्या पर सभी भूले-बिसरे, ज्ञात-अज्ञात पूर्वजों को याद कर उनका तर्पण करें। सबसे पहले देवताओं के लिए तर्पण करते हैं। इसके बाद ऋषियों के लिए तर्पण किया जाता है और अंत में पितरों की खातिर तर्पण करने की परंपरा है। सबसे पहले पूर्व दिशा में मुख करें और हाथ में कुश व अक्षत लेकर जल से देवताओं के लिए तर्पण करें। इसके उपरांत जौ और कुश लेकर उत्तर दिशा में मुख करते हुए ऋषियों के लिए तर्पण करें। आखिर में आप दक्षिण दिशा में मुख कर लें और काले तिल व कुश से पितरों का तर्पण करें। तर्पण करने के बाद पितरों से हाथ जोड़कर प्रार्थना करें, ताकि वे संतुष्ट हों और आपको आशीर्वाद दें।
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