रतलाम। विधानसभा चुनाव में इस बार जिले के पांच विधानसभा क्षेत्रों में कुल संख्या 11 लाख 2 हजार 386 मतदाता मतदान करेंगे। वर्ष 2018 की तुलना में जिले में 1.24 लाख मतदाता बढ़े हैं। खास बात यह है कि रतलाम ग्रामीण, जावरा व आलोट में वर्ष 2018 में हार-जीत के अंतर से करीब तीन से चार गुना तक मतदाताओं की संख्या बढ़ गई है।
ऐसे में नए जुड़े मतदाताओं का रवैया दोनों दलों के लिए अहम हो गया है। यही वजह है कि इस तथ्य को ध्यान में रखकर रणनीति तैयार की जा रही है। रतलाम ग्रामीण, जावरा व आलोट में किसी भी एक दल का दबदबा नहीं रहा है।
विधानसभाओं में बढ़े मतदाता
जावरा व रतलाम ग्रामीण में लगातार दो बार 2013 व 2018 में भाजपा जीती, लेकिन जीत का अंतर प्रभावी नहीं रहा। इधर आलोट विधानसभा में हमेशा से हार-जीत का अंतर दो से 10 हजार के बीच का ही रहता आया है। स्वीप प्लान एक्टिविटी के चलते सभी विधानसभाओं में मतदाता बढ़े हैं।
पहली बार के मतदाताओं की संख्या 48556 है। युवा मतदाताओं को ध्यान में रखकर प्रचार के तरीकों को अपनाने की तैयारी है। वर्ष 2018 में रतलाम ग्रामीण सीट पर भाजपा के दिलीप मकवाना ने कांग्रेस के थावर भूरिया को 5605 मतों से हराया था, यहां पांच वर्षों में कुल 24809 मतदाता बढ़ गए हैं।
यहां जीत के अंतर से कम मतदाता बढ़े
जावरा में भाजपा डा. राजेंद्र पांडेय तत्कालीन कांग्रेस नेता केके सिंह कालूखेड़ा से 511 मतों से जीते थे। जावरा में पांच वर्षों में बढ़े मतदाताओं की संख्या 28590 है। आलोट में कांग्रेस के मनोज चावला ने भाजपा के जितेंद्र गेहलोत को 5448 मतों से हराया था। आलोट में इस बार 24943 मतदाता बढ़ गए हैं। शहर में चेतन्य काश्यप ने प्रेमलता दवे को 43345 व सैलाना में हर्षविजय गेहलोत ने नारायण मईड़ा को 28498 से हराया था। इन दोनों सीटों पर जीत के अंतर से कम मतदाता बढ़े हैं।
वर्ष 2018 के चुनाव को लेकर जहां भी कमी थी, उसे पूरा कर तैयारी कर ली है। सभी सीटों पर जीत दर्ज कराएंगे। – महेंद्र कटारिया, अध्यक्ष शहर कांग्रेस
जिले की पांचों विधानसभा में बूथ स्तर पर तैयारी की गई है। हार-जीत के आंकड़ों को भी ध्यान में रखा जाता है, लेकिन कार्यकर्ता और संगठन पांचों साल मेहनत करता आ रहा है। इसका परिणाम जीत के रूप में मिलेगा। – राजेंद्रसिंह लुनेरा, जिलाध्यक्ष भाजपा