पटना: बिहार प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (बीएसपीसीबी) ने एक ऐसी प्रणाली शुरू की है जो राज्य के सभी 534 प्रखंडों में हवा की गुणवत्ता का 48 घंटे पहले पूर्वानुमान लगाएगी। बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष देवेन्द्र कुमार शुक्ला ने शनिवार को कहा कि इस पहल का उद्देश्य सर्दी के मौसम में वायु प्रदूषण से निपटना है। उन्होंने कहा कि राज्य के सभी 534 प्रखंडों के कार्यालयों में कम लागत वाले सेंसर की स्थापना भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कानपुर (आईआईटी-कानपुर) के सहयोग से की गई है।
वायु गुणवत्ता पूर्वानुमान प्रणाली जारी करेगी अलर्ट
शुक्ला ने कहा कि वायु गुणवत्ता पूर्वानुमान प्रणाली अलर्ट जारी करेगी ताकि संबंधित अधिकारी और आम जनता तदनुसार आवश्यक कदम उठा सकें। उन्होंने कहा कि यह प्रणाली आगामी वायु प्रदूषण प्रकरणों के बारे में समय पर जानकारी दे सकती है, जिसका उपयोग निर्णयकर्ता सबसे अधिक प्रदूषण वाली गतिविधियों के जोखिम को कम करने के लिए कर सकते हैं। शुक्ला ने कहा कि आईआईटी-कानपुर के तकनीकी सहयोग से राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने सभी 534 प्रखंडों के कार्यालयों में कम लागत वाले सेंसर स्थापित किए हैं। बीएसपीसीबी के अध्यक्ष ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, “ये सेंसर हवा की गुणवत्ता पर डेटा प्रदान करेंगे, विशेष रूप से पार्टिकुलेट मैटर (पीएम2.5) के संदर्भ में, जो न केवल बिहार में बल्कि पूरे भारत में गंगा किनारे के मैदान वाले इलाके के परिवेशी वायु में प्रमुख प्रदूषक है।”
“वायु प्रदूषण अब केवल शहरों तक ही सीमित नहीं”
बीएसपीसीबी और आईआईटी, कानपुर के बीच वायु गुणवत्ता माप परियोजना के लिए मार्च में एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए थे। शुक्ला ने कहा कि सेंसर लगाने का काम अगस्त में शुरू हुआ जो एक सप्ताह पहले पूरा हो गया। उनका कहना है कि ये सेंसर राज्य के 25 जिलों में बीएसपीसीबी के 35 निगरानी स्टेशनों के अतिरिक्त हैं। उन्होंने कहा, “वायु प्रदूषण अब केवल शहरों तक ही सीमित नहीं है। हाल के वर्षों में, राज्य के अर्ध-शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में वायु प्रदूषण के उच्च स्तर का अनुभव हुआ है। सभी प्रखंडों में सेंसर की स्थापना से हम आकलन कर पाएंगे।” उत्तर बिहार के बेगुसराय शहर में पिछले साल एक नवंबर से इस साल 30 जनवरी के बीच ‘गंभीर’ वायु गुणवत्ता वाले दिन (AQI 401 और 500 के बीच) देखे गए थे। इसके अलावा, समस्तीपुर शहर में 65 दिन खराब वायु गुणवत्ता (एक्यूआई 301 और 400 के बीच) दर्ज किए गए, मोतिहारी में ऐसे 39 दिन दर्ज किए गए।