महाष्टमी पर मां दुर्गा की तरह होगी ‘नफीसा’ की पूजा, स्वामी विवेकानंद से मिली प्रेरणा, जानिए क्यों हिंदूओं के महापर्व के लिए चुनी गई मुस्लिम बेटी
शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है। नवरात्र के नौ दिन देवी मां के नौ अलग-अलग स्वरुपों की पूजा की जाती है। वहीं, नवरात्र के अंत में हवन के बाद कुवारी कन्या भोजन का भी विशेष महत्व होता है। आपने नौ कन्याओं को बोजन कराते तो हर साल देखा होगा। लेकिन इस बार कुवारी कन्या की पूजा के लिए ब्राह्मण परिवार की कुंवारी लड़की नहीं बल्कि एक मुस्लिम बेटी का चयन किया गया है।
देवी पूजा के लिए मुस्लिम लड़की का चयन
जी हां.. हम बात कर रहे हैं कोलकाता के न्यू टाउन में हो रही दुर्गा पूजा की जहां इस बार हिंदू-मुस्लिम भाईचारे का संदेश देने के लिए लीक से हटकर योजना बनाई गई है। महाष्टमी के दिन होने वाली कुमारी पूजा के लिए समिति ने एक आठ साल की मुस्लिम लड़की का चयन किया है, जिसका नाम नफीसा है। नफीसा पाथुरियाघाटा इलाके की रहने वाली है। आम तौर पर महाष्टमी की पूजा के लिए किसी ब्राह्मण परिवार की कुंवारी लड़की का चयन किया जाता था। ध्यान रखा जाता था कि लड़की की उम्र 12 साल से कम हो। हालांकि इस बार सांप्रदायिक सद्भाव का संदेश देने के लिए मुस्लिम लड़की का चयन किया गया है। ग्रुप का कहना है कि स्वामी विवेकानंद ने सदी भर पहले जो संदेश दिया उससे प्रेरणा लेकर यह कदम उठाया गया है।
विवेकानन्द ने की थी मुस्लिम लड़की की पूजा
स्वामी विवेकानन्द, ‘हिन्दू भिक्षु’ और समाज सुधारक, जिन्होंने शिकागो कन्वेंशन 1893 में हिंदू धर्म का प्रतिनिधित्व किया था। एक मुस्लिम लड़की को ‘कुमारी’ के रूप में पूजते थे। विवेकानन्द द्वारा उस कन्या को माँ दुर्गा के रूप में पूजा जाता था। दरअसल, 1898 में अपनी यात्रा के दौरान स्वामी विवेकानंद ने एक मुस्लिम नाविक से निवेदन किया था कि वह श्रीनगर के खीर भवानी मंदिर में पूजा के लिए अपनी बेटी को भेज दें। इसके बाद उस मुस्लिम लड़की की मंदिर में पूजा की गई थी।
ग्रुप का कहना है कि स्वामी विवेकानंद के उस संदेश को दोहराने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा, हमारे यहां परंपरा है कि हम बच्चियों के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लेते हैं। हालांकि दुर्गा पूजा और नवरात्रि के दौरान देश भर के कई मंदिरों और घरों में कुमारी पूजा की जाती है, लेकिन हाल के इतिहास में किसी भी परिवार ने मुस्लिम लड़की की पूजा नहीं की है।