इंदौर। यूं तो इंदौर में कई ऐसे माता मंदिर हैं, जिन पर भक्तों की विशेष आस्था है। इन मंदिरों में से एक राजकुमार ब्रिज के नीचे स्थित चौसठ योगिनी मरीमाता मंदिर है। यहां महाकाली, महालक्ष्मी और माता सरस्वती के साथ ही तंत्र सिद्धि में विशेष महत्व रखने वाली 64 योगिनियों के दर्शन भी होते हैं। यहां चैत्र और शारदीय नवरात्र में भक्तों का दर्शन-पूजन के लिए मेला लगता है। इसके साथ ही आषाढ़ में भी यहां प्रतिदिन महापूजन होता है।
इतिहास – 1924 में हुआ था मंदिर का निर्माण
मंदिर का इतिहास सौ पुराना है। मंदिर का निर्माण पुजारी बाबूराव आवाले बाबा ने 1924 में किया गया था। इससे पहले भी यहां चबूतरे में माता विराजमान थीं। वर्तमान में मंदिर की व्यवस्था की देख-रेख पुजारी परिवार की पांचवीं पीढ़ी और मरीमाता भक्त मंडल द्वारा की जा रही है। यहां शिव परिवार, पवनपुत्र हनुमान, रिद्धि-सिद्धि संग भगवान गणेश, भैरवबाबा, मोतीबाबा के मंदिर भी हैं। भगवान शिव के बिल्वेश्वर महादेव व बड़केश्वर महादेव के रूप दो स्वरूप हैं।
विभिन्न समाज के लोग अर्पित करते हैं ध्वजा
मंदिर में रविवार, मंगलवार और शुक्रवार, पूर्णिमा और अमावस्या के दिन भक्त बड़ी संख्या में आते हैं। आषाढ़ मास में विभिन्न समाज के समूह में यहां आते हैं। यहां आकर माता को ध्वजा चढ़ाकर विधिवत पूजन करते हैं। यहां तंत्र सिद्धि के लिए भक्त पूजा आराधना करते हैं। तीज-त्योहारों पर माता का विशेष शृंगार किया जाता है। यह क्रम बरसों से चल रहा है।
चौसठ योगिनी का संबंध काली कुल से
चौसठ योगिनी का संबंध मुख्यत: काली कुल से है। वे काली के ही भिन्न-भिन्न अवतारी अंश हैं। ये सभी तंत्र तथा योग विद्या से घनिष्ठ संबंध रखती हैं। योगिनियां को अलौकिक शक्तियों से संपन्न माना जाता है। इनकी साधना से भक्तों की हर तरह की मनोकामना पूर्ण होती है। – राजेंद्र आवाले, पुजारी
हर वर्ष रखती हूं व्रत
माता के पूजन के लिए यहां मैं कई वर्षों से आ रही हूं। चैत्र और शारदीय नवरात्र में व्रत भी करती हूं। मां काली, सरस्वती और महालक्ष्मी के स्वरूप यहां है। इसके साथ ही चौसठ योगिनी के दर्शन भी होते हैं। यहां के सुंदर आध्यात्मिक परिसर में शांति की अनुभूति होती है। – नंदनी कागदे, भक्त