दो इंजीनियर्स का दिमाग देखकर आप हैरान रह जाएंगे, इन दोनों ने अपना दिमाग लगाया लोगों को ठगने में। सिर्फ दो साल में 854 करोड़ रुपये की ठगी कर डाली। कम इन्वेस्टमेंट पर ज्यादा का रिटर्न देने का झांसा अच्छा काम करने लगा। इन्होंने पूरे देश में अपना नेटवर्क तैयार कर लिया। जांच में पता चला है कि इस साइबर धोखाधड़ी के देशभर में 5,013 मामले दर्ज किए गए हैं। इनमें से बेंगलुरु शहर में 17 मामले दर्ज किए गए। बेंगलुरु में 49 लाख रुपए ठगे गए हैं। पुलिस ने कहा कि CCB तीन महीने से इस मामले पर काम कर रही थी। तकनीकी निगरानी और अन्य महत्वपूर्ण सुरागों का पता लगाने के बाद पुलिस आरोपियों तक पहुंचने में कामयाब रही।
तीन मास्टरमाइंड अभी नहीं पकड़े गए
इस शातिर कहानी की शुरुआत की 36 साल के एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर मनोज श्रीनिवास ने और 33 साल के एमबीए लड़के पनींद्र की है। इन दोनों ने मिलकर बेंगलुरु के येलहंका इलाके में वन बेडरूम का एक फ्लैट किराए पर लिया। दोनों ने एक प्राइवेट कंपनी रजिस्टर की। इसके बाद इन्होंने इस कंपनी के लिए हायरिंग शुरु की। तीन चार लड़के-लड़कियों को नौकरी दी गई। पुलिस ने बताया कि आरोपी मनोज, पनींद्र, चक्रधर, श्रीनिवास, सोमशेखर और वसंत को गिरफ्तार कर लिया गया है। सभी बेंगलुरु के निवासी हैं। धोखाधड़ी के मास्टरमाइंड तीन अन्य आरोपियों की पहचान कर ली गई है और उन्हें पकड़ने की कोशिश की जा रही है। गिरफ्तार सभी 6 आरोपियों ने अलग-अलग भूमिका निभा। देशभर से 5 हजार से ज्यादा लोग इनके जाल में फंसे और ये सब हुआ सिर्फ एक कमरे के फ्लैट से। कुछ दिन पहले ही पुलिस इस स्कैम का पर्दाफाश किया है। बेंगलुरूर के वन बेडरूम फ्लैट के अंदर से बुना जा रहा यह जाल जिसमें फंस रहे थे, उत्तर प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, तेलंगाना के सीधे-साधे लोग।
एक कमरे में बैठकर सोशल मीडिया के जरिए हुई लूट
आप सोच रहे होंगे इसमें क्या गलत है, लेकिन आगे देखिए इनके दिमाग में क्या चल रहा था। इसके बाद 8 फोन इस वन बेडरूम घर में रखे गए। इस घर को कॉल सेंटर के रूप इस्तेमाल किया जाने लगा। अब इन दोनों ने सोशल मीडिया का फायदा उठाया और सोशल मीडिया के जरिए अपनी कंपनी का प्रचार शुरू किया। इन्होंने सोशल मीडिया में अपनी कंपनी के नाम पर लोगों को अट्रैक्ट करना शुरू किया। इनके विज्ञापन में कम पैसे लगाकर ज्यादा रिटर्न देने की बात की जाती। विज्ञापन को इस तरह से तैयार किया गया कि वो लोगों को लुभाने लगा। उस विज्ञापन में एक दो नहीं 8 नंबर होते थे, जिससे लोगों को इनकी कंपनी पर भरोसा होता। कम इन्वेस्टमेंट पर ज्यादा का रिटर्न देने का झांसा अच्छा काम करने लगा। इन्होंने पूरे देश में अपना नेटवर्क तैयार कर लिया।
एक लड़की की शिकायत पर शुरू हुई जांच
इसी बीच सितंबर महीने में एक लड़की ने इनकी कंपनी के खिलाफ एक केस दर्ज करवाया। इस लड़की से साढ़े आठ लाख रुपये लिए गए थे। इस लड़की ने बताया कि ये कंपनी व्हाट्सऐप ग्रुप के जरिए संपर्क में आई। उसके बाद पैसे पर ज्यादा रिटर्न देने का वादा किया गया। लड़की ने जब शिकायत दर्ज करवाई तो पुलिस ने इस कंपनी के खिलाफ जांच शुरू की। जांच में जो सामने आया उसे देखकर तो पुलिस के भी होश उड़ गए। दो साल इसी तरह ये लोगों से पैसा उगहाते रहे। इनका नेटवर्क पूरे कर्नाटक में फैल चुका था। इसके अलावा देश के दूसरे राज्यों में भी इनकी अच्छी रीच हो गई थी। इन्होंने फेक नाम से 84 बैंक अकाउंट भी खोले हुए थे। ये अलग-अलग अकाउंट में लोगों से पैसे ले रहे थे। ज्यादा पैसे के लालच में लोग इनकी कंपनी में झांसे में फंसते जा रहे थे।
पूरे देश में फैल चुका था फर्जी कंपनी का नेटवर्क
ये कंपनी पूरे देशभर में 5103 लोगों को अपने साथ जोड़ चुकी थी और उनसे इन्वेस्टमेंट के नाम पर पैसे लूट चुकी थी। ये पूरा धंधा 84 बैंक अकाउंट की मदद से चल रहा था। पुलिस छानबीन की तो पता चला कि कर्नाटक में 417 लोगों को, तेलंगाना में 719, गुजरात में 642 जबकि उत्तर प्रदेश में भी 505 लोगों के अकाउंट से ये पैसा निकलवा चुके थे। इनके अलावा देशभर के अलग-अलग हिस्सों से कई और लोग भी लालच के चक्कर इन्हें लाखों रुपये दे चुके थे। ये टोटल स्कैम 854 करोड़ रुपये का था। पुलिस ने अब इन दोनों लड़कों को गिरफ्तार कर लिया है। 4 और लोगों को भी गिरफ्तार किया गया है जो इनकी मदद कर रहे थे।