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बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है धनतेरस की पूजा, हमेशा घर में बनी रहती है बरकत

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इंदौर।  5 दिनों के दिवाली उत्सव में धनतेरस हिंदू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। इस साल धनत्रयोदशी 10 नवंबर को पड़ेगी। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन भगवान धन्वंतरि और कुबेर जी की पूजा करने की परंपरा है। धन्वंतरि जी को भगवान विष्णु का अवतार कहा जाता है। मान्यताओं के अनुसार, अगर इस दिन सच्चे मन से विष्णु अवतार धन्वंतरि और कुबेर जी की पूजा की जाए तो जीवन में कभी भी धन से जुड़ी परेशानियां नहीं आती हैं। वैसे तो दिवाली उत्सव के पांचों दिनों का बेहद महत्व होता है। कहा जाता है कि दिवाली के दिन मां लक्ष्मी धरती पर आती हैं, इसलिए उनके स्वागत में हमें हर तरह से तैयारियां करनी चाहिए

धनतेरस पूजा विधि

हिंदू कैलेंडर के अनुसार, धनतेरस हर साल आश्विन मास के कृष्ण पक्ष के दौरान तेरहवें दिन मनाया जाता है। धनतेरस पर भक्त धन और समृद्धि की देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं और उनसे आशीर्वाद मांगते हैं। धनतेरस पूजा में सबसे पहले गणेश जी की पूजा की जाती है। इसके बाद भगवान धन्वंतरि और कुबेर जी की पूजा करें। चंदन या रोली का तिलक लगाएं। फूलों की माला चढ़ाएं। मिष्ठान्न भी अर्पित करें। अंत में घी के दीपक से आरती करके पूजा समाप्त करें।

धनतेरस पूजा महत्व

धनतेरस के दिन, लोग अपने घरों में सोने और चांदी के गहने और बर्तन खरीदने जाते हैं। माना जाता है कि ऐसा करने से सौभाग्य और समृद्धि बनी रहती है। हिंदुओं के सबसे बड़े त्योहार दिवाली से एक या दो दिन पहले यह त्योहार मनाया जाता है।

समुद्र मंथन की प्रचलित कथा के अनुसार धनत्रयोदशी के दिन ही समुद्र मंथन से देवी लक्ष्मी प्रकट हुई थीं। यही कारण है कि हर साल त्रयोदशी तिथि पर देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है। इसके साथ ही इस दिन धन्वंतरि और कुबेर जी की पूजा की जाती है, जिन्हें भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है।

डिसक्लेमर

‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’

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