जबलपुर। सब्जी, फल, चाट, फुल्की के ठेले लगाने वालों सहित करीब 28 हजार स्ट्रीट वेंडरों ने प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना के तहत 10 हजार से लेकर 50 हजार रुपये का लोन तो लो ले लिया, लेकिन लोन लेने के महीनों बाद भी वे डिजिटल नहीं हो पा रहे हैं। जबकि लोन की शर्तों के मुताबिक व्यापार के दौरान के उन्हें कांटेक्टलेस तरीके से पैसों का अदान-प्रदान करना था।
नगर निगम और बैंकों ने इसके लिए लोन लेने वाले रेहड़ी, सब्जी बेचने वाले स्ट्रीट वेंडरों के मोबाइल पर भीम, पेटीएम, फोन पे जैसे एप डाउनलोड भी कराए थे बावजूद इसके शहर भर में महज छह हजार फुटकर विक्रेता ही नगद की बजाए मोबाइल के जरिये डिजिटल लेन-देने कर रहे हैं।
अधिकांश वेंडर डिजिटल की जगह नगद लेन-देन पर भरोसा कर रहे हैं। कुछ ऐसे भी फुटकर व्यापारी हैं जिन्होंने अभी तक स्मार्ट फोन तक नहीं लिया। नगर निगम के योजना विभाग के अधिकारी भी उन्हें डिजिटल लेन-देने के लिए प्रोत्साहित नहीं कर रहे जिसके कारण सरकार के डिजिटलाइजेशन लेने-देन को बढ़ावा देने के मंसूबों पर पानी फिर रहा है।
शहर में आ गई वेंडरों की बाढ़
स्ट्रीट वेंडर योजना का लाभ पाने बेरोजगारों में ऐसी होड़ मची कि शहर में स्ट्रीट वेंडरों की बाढ़ आ गई। शहर की शायद ही कोई ऐसी सड़क, फुटपाथ बचे हो जहां ठेले, टपरे, गुमटी, स्टाल सहित अन्य फुटकर विक्रेताओं का कब्जा न हो। हर जगह स्ट्रीट वेंडर नजर आ रहे हैं। कलेक्ट्रेट, मालगोदाम, सिविक सेंटर, कछपुरा, गढ़ा, रांझी, घमापुर, अधारताल, छोटी लाइन, मेडिकल सहित हर प्रमुख सड़क पर स्ट्रीट वेंडर नजर आ रहे हैं, लेकिन इनमें से कुछ ही विक्रेता ऐसे हैं जो मोबाइल के जरिये कैशलेस लेन-देने कर रहे हैं।
एप डाउनलोड होने पर ही लोन देने का प्रविधान
-विदित हो स्ट्रीट वेंडरों को लोन देकर आत्मनिर्भर बनाने के लिए शुरू की गई पीएम स्वनिधि योजना के तहत डिजिटल लेनदेन के लिए एप डाउनलोड करना जरूरी है।
– डिजिटल भुगतान करने पर वेंडरों को बतौर इनाम कैश बैक दिया जाय, ताकि वे कुछ डिजिटलाइजेशन का फायदा उठाकर कुछ बचत भी कर सकें।
– बैंकों द्वारा लोन देने से पहले अन्य दस्तावेजों के साथ ही एप डाउनलोड किया या नहीं ये, भी चेक किया गया था, लेकिन ये सिर्फ औपचारिकता ही साबित हुआ।
28 हजार से ज्यादा को मिल चुका है लोन
– 87 हजार लोगों ने किया था लोन के लिए आवेदन।
– 55 हजार सर्वे सत्यापन के बाद निरस्त किए गए।
– 35 हजार से ज्यादा हितग्राही पात्र पाए गए।
– 28 हजार 206 पात्रों के लोन प्रकरण बैंकों ने किए थे स्वीकृत।
– 13 हजार 705 को ही मिला था लोन।
– 6 हजार वैंडरों के डिजिटल लेन-देन का किया जा रहा दावा।
स्ट्रीट वेंडर को डिजिटल लेन-देन के लिए प्रत्साहित किया जा रहा है। जल्द ही इसमें सफलता हासिल करेंगे। – अंकिता जैन, सहायक आयुक्त व योजना प्रभारी नगर निगम