इंदौर। पूर्णिमा तिथि भगवान विष्णु की पूजा के लिए समर्पित मानी जाती है। इस तिथि पर पवित्र नदी में स्नान, दान आदि करने का विशेष महत्व होता है। ये सभी कार्य अत्यंत पुण्य फलदायी माने गए हैं। कार्तिक पूर्णिमा के दिन शुभ मुहूर्त में ही पूजा-पाठ करना चाहिए। कार्तिक का महीना भगवान विष्णु को बेहद प्रिय है। ऐसे में कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है। कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ 26 नवंबर को दोपहर 3 बजकर 53 मिनट पर हो रहा है। इस तिथि का समापन 27 नवंबर को दोपहर 2.45 बजे होगा। ऐसे में कार्तिक मास की पूर्णिमा 27 नवंबर को मनाई जाएगी।
कार्तिक पूर्णिमा का महत्व
हिंदू धर्म के अनुसार, पूर्णिमा के दिन भगवान सत्यनारायण जी की पूजा करने से व्यक्ति को शुभ फल की प्राप्ति होती है। धार्मिक मान्यता है कि पूर्णिमा के दिन ही पृथ्वी को जल प्रलय से बचाने के लिए भगवान विष्णु ने मत्स्य (मछली) के रूप में अवतार लिया था।
यह भी माना जाता है कि इसी दिन भगवान शिव ने राक्षस त्रिपुरासुर का वध किया था। ऐसे में यदि आप कार्तिक पूर्णिमा के दिन किसी पवित्र नदी में स्नान करते हैं, तो आपके जन्म-जन्मांतर के पाप नष्ट हो जाते हैं। इसके अलावा इस तिथि पर जरूरतमंदों को दान देने का भी विशेष महत्व होता है।
इन नियमों का करें पालन
- कार्तिक पूर्णिमा के दिन किसी भी गरीब या जरूरतमंद व्यक्ति को खाली हाथ न भेजें।
- कार्तिक पूर्णिमा के दिन बड़ों का अपमान न करें।
- कार्तिक पूर्णिमा के दिन सूर्योदय से पहले उठकर पवित्र नदी में स्नान करें। यह संभव न हो तो आप पानी में गंगाजल मिलाकर भी स्नान कर सकते हैं।
- कार्तिक पूर्णिमा के दिन ब्रह्मचर्य का पालन करें।
- लहसुन, प्याज, मांस, शराब आदि कार्तिक पूर्णिमा के दिन भूलकर भी इनका सेवन नहीं करें।
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