इंदौर। देवउठनी एकादशी का हिंदू धर्म में बहुत महत्व होता है। इस एकादशी के बाद सभी शुभ कार्य शुरू हो जाते हैं। देवउठनी एकादशी के अगले दिन द्वादशी तिथि को तुलसी विवाह किया जाता है। इस खास दिन पर कुछ उपाय किए जाए, तो व्यक्ति की जल्द शादी होने की संभावना बढ़ जाती है। मान्यताओं के अनुसार, शालिग्राम और तुलसी जी का विवाह देवउठनी एकादशी के अगले दिन द्वादशी तिथि को होता है। इस बार द्वादशी तिथि 23 नवंबर 2023 को रात्रि 9:01 बजे प्रारंभ होगी। इसका समापन 24 नवंबर को शाम 7.06 बजे होगा। ऐसे में तुलसी विवाह 24 नवंबर, शुक्रवार को किया जाएगा।
मनचाहा जीवनसाथी पाने के लिए करें उपाय
अगर आप चाहते हैं कि आपको मनचाहा जीवनसाथी मिले, तो आप तुलसी विवाह के दिन एक खास उपाय कर सकते हैं। तुलसी विवाह के दिन तुलसी को लाल रंग की चुनरी चढ़ाएं और मनोकामना पूरी करने के लिए प्रार्थना करें। इसके बाद अगले दिन उस चुनरी को अपने पास रख लें। तुलसी माता की कृपा से मनचाहा जीवनसाथी मिलेगा।
अच्छे वैवाहिक जीवन के लिए
अखंड सौभाग्य प्राप्ति के लिए तुलसी जी को देवउठनी एकादशी के दिन चूड़ियां, बिंदी, सिन्दूर, मेहंदी आदि सुहाग का सामान चढ़ाना चाहिए। पूजा के बाद यह श्रृंगार सामग्री किसी विवाहित महिला को दें। इस उपाय से पति-पत्नी के बीच प्रेम बना रहता है और वैवाहिक जीवन सुखमय होता है।
घर की सुख-शांति के लिए
अगर पति-पत्नी के बीच किसी बात पर कलह होती रहती है, तो आप यह उपाय को कर सकते हैं। तुलसी के विवाह से एक दिन पहले तुलसी के कुछ पत्ते तोड़ लें। इसके बाद इन पत्तों को पानी में डालकर रख दें। तुलसी विवाह के दिन इस जल को घर के मुख्य द्वार पर डालें। इस उपाय से दांपत्य जीवन में आने वाली परेशानियां दूर हो जाती हैं।
शीघ्र विवाह के लिए
अगर किसी व्यक्ति की शादी में देरी हो रही है, तो तुलसी विवाह के दिन सात साबुत हल्दी की गांठ, थोड़ा सा केसर, गुड़ और चने की दाल एक पीले कपड़े में बांध लें। इसके बाद इस सामग्री को मंदिर में भगवान विष्णु को अर्पित करें। इससे शीघ्र विवाह के योग बनते हैं।
डिसक्लेमर
‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’