चार दिवसीय छठ पर्व का शुभारंभ शुक्रवार से हो रहा है, छत्तीसगढ़ में रहने वाले उत्तर भारतीय समाज के लोगों में पर्व मनाने को लेकर उत्साह छाया है। पर्व मनाने की तैयारियों को लेकर घर-घर में चर्चा और खुशियां छाई है। पर्व के पहले दिन 17 नवंबर शुक्रवार को ‘नहाय-खाय’ परंपरा निभाई जाएगी। व्रत करने वाली महिलाएं स्नान करके भगवान सूर्यदेव और छठी माता से परिवार की सुख, समृद्धि की कामना करेंगी। पहले दिन लौकी की सब्जी और रोटी खाने की रस्म निभाएंगी।
18 को ‘खरना’ खीर-रोटी की रस्म
छठ पर्व के दूसरे दिन 18 नवंबर को दिनभर व्रत रखकर शाम को खीर और रोटी खाने की रस्म निभाएंगी। इसे ‘खरना’ कहा जाता है।महिला और पुरुष खीर-रोटी खाकर अगले 36 घंटे तक निर्जला व्रत रखने का संकल्प लेंगे।
19 को अस्त होते सूर्य को अर्घ्य
छठ पर्व के तीसरे दिन 19 नवंबर की शाम नदी किनारे पहुंचकर व्रती महिलाएं विधिवत भगवान सूर्यदेव और छठी माता की पूजा-अर्चना करेंगी। अस्त होते सूर्य को अर्घ्य देने के पश्चात सारी रात जागरण करके भजन-कीर्तन किया जाएगा।
20 को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ समापन
पर्व के चौथे दिन ब्रह्म मुहूर्त में महिलाएं नदी किनारे पहुंचकर स्नान, पूजा करेंगी। सूर्य के उदय होते ही जल, फल,सब्जी और अन्य सामग्री से अर्घ्य देने के पश्चात ठेकुआ का प्रसाद ग्रहण कर निर्जला व्रत का पारणा करेंगी।
महादेवघाट की सफाई
छठ महापर्व महादेवघाट समिति के सदस्य बुधवार को सुबह महादेवघाट पहुंचे और श्रमदान करके खारुन नदी से जलकुंभी निकालकर नदी को साफ किया।घाट की सीढ़ियों से कचरा बुहारकर पानी डालकर सीढ़ियों पर रंगरोगन करके चकाचक किया। गुरुवार को भी नदी के किनारे लगभग एक किलोमीटर तक के क्षेत्र को साफ किया जाएगा।
वेदी कुंड के लिए घेरी जगह
छठ महापर्व पर हजारों श्रद्धालु अर्घ्य देने और पूजा करने उमड़ेंगे। घाट पर पैर रखने की भी जगह नहीं बचती। अनेक श्रद्धालुओं ने सीढ़ियों पर वेदी कुंड बनाने के लिए जगह घेरना प्रारंभ कर दिया। पर्व शुरू होने के पहले ही वेदी कुंड बनाकर अपना नाम लिखेंगे ताकि जगह आरक्षित होने के बाद पूजा करने में परेशानी ना उठानी पड़े।
दर्जन से ज्यादा तालाबों के किनारे मनाएंगे छठ पर्व
महादेवघाट के अलावा बिरगांव के व्यास तालाब, हीरापुर के टेंगना तालाब, छुइयां तालाब, गुढ़ियारी में मच्छी तालाब, बूढ़ातालाब, नया तालाब, समता कालोनी तालाब, रामकुंड तालाब, आमापारा तालाब, मलसाय तालाब, बंधवापारा तालाब, टिकरापारा तालाब समेत एक दर्जन से अधिक तालाबों के किनारे छठ पर्व श्रद्धा उल्लास से मनाया जाएगा।