संतान प्राप्ति के लिए जमीन पर लेटी महिलाएं, गंगरेल के मां अंगार मोती मंदिर में श्रद्धालुओं की लगी रही भीड़
धमतरी। दीवाली त्योहर के बाद पड़ने पहले शुक्रवार को गंगरेल मड़ई का आयोजन हुआ। मुख्य आकर्षण मां अंगारमोती की विशेष पूजा और महिलाओं की संतान प्राप्ति के लिए रस्म अदायगी में शामिल होने का दृश्य था। जिसे देखने दूर-दराज से लोग आए। 17 नवंबर को विधानसभा चुनाव के बावजूद लोगों की मड़ई स्थल पर भीड़ देखने को मिली। लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया उसके बाद मड़ई देखने पहुंचे।
हर साल की तरह इस साल भी गंगरेल मड़ई में बड़ी संख्या में लोग दूर-दराज से पहुंचे। यहां पहुंचे लोगों का बांध का मनोरम नजारा देखने के साथ ही साथ मड़ई का मजा दोगुना हो गया। बांध के तट पर विराजमान मां अंगारमोती देवी मंदिर है। जहां मड़ई में चरण पखारने की अनोखी परंपरा चली आ रही है। चरण पखारने की परंपरा में विवाहित नि:संतान महिलाएं शामिल होती हैं। शुक्रवार 17 नवंबर को भी आशीर्वाद लेने मंदिर परिसर में महिलाओं की कतार लगी थी।
गंगरेल मड़ई घूमने वालों का सुबह से पहुंचना शुरू हो गया था। मंदिर में पूजा-अर्चना के बाद लोगों ने मड़ई घूमने का मजा लिया। अंगारमोती मंदिर परिसर से लेकर शीतला मंदिर तक दुकानें सजी थीं। शाम तक गंगरेल मडई में हजारों की संख्या में लोगों की भीड़ रही। दोपहर के समय गंगरेल के आसपास गांवों से देवता डांग लिए जयघोष के साथ मंड़ई आने वालों का उत्साह देखते ही बना। सुरक्षा इंतजाम के लिए रूद्री और पुलिस लाइन के जवान तैनात रहे। गंगरेल मड़ई के साथ ही बांध देखने और घूमने का भी लोगों ने मजा लिया।
पुलिस के जवान जगह-जगह पर तैनात रहे
गंगरेल मड़ई घूमने आए लोग बांध के उपर और गार्डन में घूमते दिखे। अन्य दिनों की अपेक्षा गंगरेल बांध स्थल पर लोगों की भारी भीड़ रही। सुरक्षा के लिए पुलिस के जवान जगह-जगह पर तैनात रहे। इस अवसर पर ट्रस्ट के सचिव आरएन ध्रुव, कोषाध्यक्ष ओंकार नेताम, पुजारीगण ईश्वर नेताम, सुदेसिंह मरकाम, तुकाराम मरकाम, मानसिंह मरकाम सहित अन्य मौजूद रहे।
नि:संतान महिलाओं ने चरण पखारने की रस्म निभाई
मां अंगारमोती समिति के अनुसार चरण पखारने की परंपरा का निर्वहन हर साल गंगरेल मड़ई के दिन ही किया जाता है। मान्यता है कि इस दिन माता से आशीर्वाद लेने वाली नि:संतान महिलाओं की मनोकामना पूरी होती है। माता की ख्ताति को मानने वाले श्रद्धालु धमतरी के अलावा अन्य प्रदेश से भी आते हैं। इस साल भी बड़ी संख्या में लोग यहां पहुंचे। विधि-विधान से पूजा में नि:संतान महिलाएं शामिल हुईं।