उज्जैन। विधानसभा चुनाव में अपने प्रचार-प्रसार पर उज्जैन जिले की सात विधानसभा के 52 प्रत्याशियों ने कुल 2 करोड़ 53 लाख 26576 रुपये खर्च किए। ये खर्च पिछले चुनाव में हुए खर्चे से बहुत ज्यादा है। वो भी तब जब इस बार प्रत्याशियों की संख्या 14 कम है।
सबसे खास बात यहां के दो निर्दलीय प्रत्याशियों प्रतापसिंह आर्य और राजेन्द्र सिंह सोलंकी ने उच्च शिक्षा मंत्री डा. मोहन यादव से अधिक रुपया खर्च कर डाला है। आर्य ने 8 लाख 93138 रुपये और सोलंकी ने 11 लाख 70320 रुपये खर्चे हैं। इनके मुकाबले मंत्री डा. यादव ने केवल 8 लाख 55249 रुपये खर्चे हैं। सबसे अधिक 20 लाख 55619 रुपया बहादुरसिंह चौहान ने खर्चा है।
मालूम हो कि निर्वाचन आयोग ने चुनाव लड़ रहे प्रत्येक प्रत्याशी के लिए चुनाव प्रचार-प्रसार की अधिकतम खर्च सीमा 40 लाख रुपये निर्धारित कर दी थी। आंकड़े बताते हैं खर्च में इस बार कांग्रेस की बजाय सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी आगे रहे हैं।
जिले की उज्जैन-उत्तर विधानसभा क्षेत्र की सीट छोड़ दें तो शेष छह सीटों पर भाजपा प्रत्याशियों ने कांग्रेस एवं निर्दलीय प्रत्याशियों से अधिक रुपया खर्च किया है। जबकि पिछले चुनाव में कांग्रेस ने रुपया पानी की तरह बहाया था। इस बार ऐसा नहीं किया।
वजह, चुनाव विश्लेषक पिछले चुनाव परिणामों को मानते हैं। भाजपा प्रत्याशियों का इस बार चुनाव खर्च बढ़ने की एक वजह मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान, केंद्रीय गृह अमित शाह, नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, पूर्व मंत्री जयभानसिंह पवैया, पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय की सभा कराना भी है। जबकि कांग्रेस ने इस बार स्टार प्रचारकों की सभा नहीं कराई।
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2018 के चुनाव में उज्जैन जिले से चुनाव मैदान में 66 प्रत्याशी खड़े हुए थे। इन्होंने मिलकर 2 करोड़ 44 लाख 84708 रुपया खर्च किया था। तब उज्जैन उत्तर के विधायक पारस जैन ऊर्जा मंत्री थे। उन्होंने अपने प्रचार पर 10 लाख 69 हजार रुपये खर्चे थे। उसी दरमियान उज्जैन दक्षिण से निर्दलीय प्रत्याशी जयसिंह दरबार ने 17 लाख 93 हजार रुपये खर्चे थे। चुनाव उपरांत दरबार भाजपा में शामिल हो गए थे।