समरकंद: बेंगलुरु के एक सेवानिवृत्त व्यक्ति मोहम्मद नौशाद ने अपनी सेवानिवृत्ति के बाद दुनिया की यात्रा करने की योजना बनाई । वह एक साल पहले एक पर्यटक के रूप में उज्बेकिस्तान पहुंचे। सुबह की मसाला चाय और परांठे की तलाश ने उन्हें उज्बेकिस्तान के दूसरे सबसे बड़े शहर समरकंद में बसने और यहां एकमात्र भारतीय रेस्तरां खोलने के लिए प्रेरित किया। “द इंडियन किचन” नामक यह रेस्तरां उन भारतीय छात्रों के लिए एक राहत लेकर आया है, जो यहां चिकित्सा की पढ़ाई कर रहे हैं और भारतीय भोजन को याद करते थे। यहां के स्थानीय लोग ‘लिप डोसा’ से लेकर चिकन बिरयानी तक विभिन्न व्यंजन को काफी पसंद करते हैं। नौशाद (61) कहते हैं, “सेवानिवृत्ति के बाद काम करने की मेरी कोई योजना नहीं थी और किसी रेस्तरां में काम करने का तो दूर, रेस्तरां चलाने का भी कोई अनुभव नहीं था। जब मैं एक पर्यटक के रूप में यहां आया, तो मैं मसाला चाय और परांठे का अपना सामान्य नाश्ता करने के लिए निकल पड़ा।”
उन्होंने बताया, “मैंने कई देशों की यात्रा की है और हमेशा कोई न कोई ऐसी जगह ढूंढी है जहां भारतीय भोजन उपलब्ध हो। मुझे यह जानकर आश्चर्य हुआ कि यहां एक भी भोजनालय या रेस्तरां नहीं है जो भारतीय व्यंजन परोसता हो।” उन्होंने कहा, “एक सप्ताह में यहां की जीवंत संस्कृति और लोगों की सादगी ने मुझे यहां रहने के लिए प्रेरित किया और अब समरकंद मेरा स्थायी घर है।” नौशाद के अनुसार, रेस्तरां में प्रति दिन लगभग 350-400 लोग आते हैं और शादियों व कार्यक्रमों के लिए खानपान के ऑर्डर मिलते हैं। नौशाद के दिन की शुरुआत किराने का सामान खरीदने के लिए अपने कर्मचारियों के साथ “बाज़ार” जाने से होती है क्योंकि वह रेस्तरां में हर चीज़ ताजी बनाना चाहते हैं।
उन्होंने कहा, “समरकंद में 3,000 से अधिक भारतीय छात्र हैं और वे मुझे अक्सर बताते हैं कि वे भारतीय भोजन को याद किया करते थे। शाही पनीर, नान और रोटियां यहां दुर्लभ हुआ करती थीं। मुझे उम्मीद थी कि भारतीयों को यह रेस्तरां पसंद आएगा, लेकिन उज्बेकिस्तान के लोगों से मुझे जो प्रतिक्रिया मिली है वह अभूतपूर्व है।” रेस्तरां में उपलब्ध स्वादिष्ट व्यंजनों के पीछे मद्रास के शेफ अशोक कालिदास का हाथ है। वह पहले उज्बेकिस्तान के ताशकंद में रहते थे और अब समरकंद में बस गए हैं। उन्होंने कहा, “हम प्रत्येक ग्राहक से पूछते हैं कि हमें किस प्रकार के मसालों का इस्तेमाल करना चाहिए। उज्बेकिस्तान के लोग खानपान के मामले में बहुत अलग हैं तो हम उनसे पूछते हैं कि क्या वे इसे कम मसालेदार खाना चाहते हैं या फिर तीखा। लोकप्रिय भारतीय व्यंजनों को उनके स्वाद के अनुरूप बनाने के प्रयास की वजह से यहां के लोग आकर्षित होते हैं।
भारतीय छात्र यहां आते हैं क्योंकि उन्हें अपने घर जैसा खाना मिलता है और खाना महंगा नहीं होता।” कालिदास का कहना है कि रेस्तरां में सबसे लोकप्रिय व्यंजन “मसाला डोसा” और “चिकन बिरयानी” है, जो उज़्बेक “पिलाफ” से बहुत अलग हैं। रेस्तरां में एक उज्बेक महिला जरीना से उनकी पसंद के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, “मुझे मसाला चाय पसंद है।” रेस्तरां में फिलहाल भोजन परोसा जाता है, लेकिन नौशाद अपना काम बढ़ाना चाहते हैं। उन्होंने कहा, “हम भारतीय छात्रों के लिए एक टिफिन सेवा शुरू करने के बारे में भी सोच रहे हैं।
इसके अलावा, हमारे यहां बहुत सारे पर्यटक भी आते हैं। इसलिए मैं उज्बेकिस्तान में लोकप्रिय पर्यटन स्थल बुखारा और खिवा में भी इसी तरह के रेस्तरां खोलने पर विचार कर रहा हूं, जहां कोई भारतीय रेस्तरां नहीं है।” नयी दिल्ली में स्थित उज्बेकिस्तान दूतावास के अनुसार, उज्बेकिस्तान में भारतीय प्रवासियों की संख्या 5,000 से अधिक हैं। कोविड-19 से पहले वर्ष 2019 में, 28,000 से अधिक भारतीय पर्यटकों ने उज्बेकिस्तान का दौरा किया। हालांकि, इस साल अब तक उज्बेकिस्तान जाने वाले पर्यटकों की संख्या 30,000 से अधिक हो चुकी है।