जबलपुर। हाई कोर्ट ने नर्मदा किनारे 300 मीटर के दायरे में अवैध निर्माण व अतिक्रमणों के मामले में राज्य शासन को रिपोर्ट पेश करने के लिए मोहलत दे दी है। इसके साथ मामले की अगली सुनवाई फरवरी के प्रथम सप्ताह में निर्धारित कर दी है। मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ एवं न्यायमूर्ति विशाल मिश्रा की युगलपीठ के समक्ष मामला सुनवाई के लिए लगा। इस दौरान याचिकाकर्ता नर्मदा मिशन और भाजपा नेता व पूर्व मंत्री ओमप्रकाश धुर्वे की ओर से पक्ष रखा गया।
50 मीटर के दायरे में बहुमंजिला मकान
अधिवक्ताओं ने दलील दी कि मध्य प्रदेश की जीवन-रेखा नर्मदा जिन जिलों से होकर गुजरती हैं, वहां के जिला प्रशासन को शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के सिलसिले में गाइडलाइन प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए थे, किंतु अब तक निर्देश का पालन सुनिश्चित नहीं किया जा सका है। वहीं स्थिति यह है कि डिंडौरी में बिना अनुमति नर्मदा किनारे महज 50 मीटर के दायरे में बहुमंजिला मकान तान दिए गए हैं।
जबलपुर में 75 अतिक्रमण रेखांकित याचिकाकर्ताओं की ओर से अवगत कराया गया कि नगर निगम, जबलपुर ने अपनी रिपोर्ट में 2008 के बाद से तिलवाराघाट, गौरीघाट, जिलहरीघाट, रमनगरा, गोपालपुर, दलपतपुर, भेड़ाघाट में कुल 75 अतिक्रमण होना रेखांकित किया है। नर्मदा के जलसंग्रहण क्षेत्र व उच्च बाढ़ क्षेत्र में अवैध निर्माण व अतिक्रमण बेहद चिंताजनक हैं।