जबलपुर। हाई कोर्ट ने आरक्षित वर्ग के प्राथमिक शिक्षकों की अवैधानिक पदस्थापना को चुनौती संबंधी याचिका पर जवाब-तलब कर लिया है। इस सिलसिले में स्कूल शिक्षा विभाग व जनजातीय कार्य विभाग के प्रमुख सचिव और आयुक्त लोक शिक्षण सहित अन्य को नोटिस जारी किए गए हैं। प्रशासनिक न्यायाधीश शील नागू व न्यायमूर्ति देवनारायण मिश्रा की युगलपीठ के समक्ष मामले की प्रारंभिक सुनवाई हुई।
हाई कोर्ट ने मांगा जवाब
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को सामान्य वर्ग में परिवर्तित करके नियुक्तियां कर दी गई हैं। केटेगिरी बदलने के इस रवैये की संवैधानिक वैधता कठघरे में रखे जाने योग्य है। ऐसा इसलिए क्योंकि आरक्षित वर्ग के 2500 से अधिक प्रतिभावान अभ्यर्थियों की मनमाने तरीके से अनारक्षित वर्ग अंतर्गत आदिवासी विभाग में पदस्थापना कर दी गई है। यह तरीका व्यापक पैमाने पर भ्रष्टाचार को इंगित करने काफी है।
आलम यह है कि याचिकाकर्ताओं सहित अन्य अनारक्षित वर्ग के प्रतिभावान अभ्यर्थियों को उनके गृहनगर से सैकड़ों किलोमीटर दूर रिमोट एरिया में पदस्थ कर दिया गया। जबकि अपेक्षाकृत कम प्रतिभावान अभ्यर्थियों को उनके गृहनगर में पदस्थ किया गया। यह रवैया सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश के सर्वथा विपरीत है।