इंदौर। सनातन धर्म में रुद्राक्ष को भगवान शिव के आंसुओं से उत्पन्न माना गया है। पौराणिक मान्यता है कि जब भगवान शिव ने रौद्र रूप धारण किया था तो उस समय जो आंसू निकले थे, वही रुद्राक्ष बन गए थे। रुद्राक्ष का आध्यात्मिकता के साथ-साथ स्वास्थ्य के लिए भी काफी महत्व है। ऐसा माना जाता है कि रुद्राक्ष शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए गुणकारी होते हैं। पंडित चंद्रशेखर मलतारे के मुताबिक, यदि आप रुद्राक्ष धारण करते हैं तो इन बातों की सावधानी रखना चाहिए।
अंत्येष्टि स्थल पर रुद्राक्ष पहनकर न जाएं
रुद्राक्ष को लेकर कई मान्यताएं हैं। धार्मिक मान्यता है कि अंत्येष्टि स्थल पर जाते समय रुद्राक्ष को धारण नहीं करना चाहिए। श्मशान स्थल पर मौजूद नकारात्मक ऊर्जाओं से रुद्राक्ष को बचाना चाहिए। इसके अलावा शारीरिक संबंध बनाते समय भी रुद्राक्ष धारण नहीं करना चाहिए।
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रात को सोते समय न पहले रुद्राक्ष
रात को जब आप बिस्तर पर सोने के लिए पहुंचे, उससे पहले रुद्राक्ष की माला निकालकर रख देना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि सोते समय हमारा शरीर अशुद्ध नहीं होता और इस कारण से रुद्राक्ष अशुद्ध हो जाता है। इसके अलावा घर में यदि बच्चे का जन्म होता है, तो उस समय भी सूतक पाला जाता है और इस दौरान रुद्राक्ष धारण नहीं करना चाहिए।
आध्यात्मिक शक्ति देता है रुद्राक्ष
रुद्राक्ष की माला न केवल आध्यात्मिक शक्ति देती है, बल्कि जीवन के हर चरण में उत्थान में मदद करती है। रुद्राक्ष की माला धारण करने से पहले मंत्रों के जरिए उसकी प्राण-प्रतिष्ठा करनी चाहिए। रुद्राक्ष धारण करते समय सामान्य मंत्र ‘ओम नमः शिवाय’ का 5 बार पाठ करना चाहिए। इसके अलावा महामृत्युंजय मंत्र का भी जाप कर सकते हैं।
डिसक्लेमर
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