वहीं, कांग्रेस का दावा है कि नारी सम्मान योजना, 500 रुपये में गैस सिलेंडर सहित कई घोषणाओं से ज्यादातर महिला मत कांग्रेस के पक्ष में गए हैं। अंचलवार देखें तो ग्वालियर-चंबल क्षेत्र की मात्र चार सीटों में ही महिलाओं का मतदान प्रतिशत वर्ष 2018 की तुलना में कम हुआ है। इनमें जौरा, दिमनी, भिंड और पिछोर शामिल हैं। उधर, मालवा-निमाड़ की 21 सीटों में मतदान घटा है। हालांकि, इंदौर शहर की पांच विधानसभा सीटों में तीन से चार प्रतिशत तक बढ़ोतरी हुई है।
भोपाल मतदान में पीछे
भोपाल की सात में से दो विधानसभा क्षेत्र भोपाल दक्षिण पश्चिम और भोपाल मध्य में भी कम मतदान हुआ है। भोपाल दक्षिण-पश्चिम में वर्ष 2018 के मुकाबले पांच प्रतिशत से अधिक की गिरावट हुई है जो प्रदेश में सर्वाधिक है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के विधानसभा क्षेत्र बुदनी में वर्ष 2018 में 80.61 प्रतिशत महिला मतदाताओं ने मतदान किया था जो इस बार 82.77 रहा। यानी 2.16 प्रतिशत ज्यादा मतदान हुआ।
उधर, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ के क्षेत्र छिंदवाड़ा में लगभग एक प्रतिशत की बढ़त दिखी है। ज्यादा मतदान को लेकर भाजपा और कांग्रेस के अपने-अपने दावे और विश्लेषण हैं। दोनों इससे खुद को लाभ का दावा कर रही हैं, लेकिन वास्तविक में कौन लाभ में रहेगा यह तीन को परिणाम आने पर ही सामने आएगा।
इन सीटों पर महिलाओं ने कम किया मतदान
जौरा, दिमनी, भिंड, पिछोर, खुरई, दमोह, पवई, रैगांव, नागोद, मैहर, अमरपाटन, रामपुर बघेलान, सिरमौर , त्योंथर, गुढ़, ब्यौहारी, सौसर, मुलताई, आमला, घोड़ाडोंगरी, भैंसदेही, सिवनी मालवा , भोपाल दक्षिण पश्चिम, भोपाल मध्य, राजगढ़, देवास, खातेगांव, बागली, मांधाता, खंडवा, पंधाना, नेपानगर, बुरहानपुर, भीकनगांव, बड़वाह, खरगोन, पानसेमल, बड़वानी, गंधवानी, कुक्षी, पेटलावद, सरदारपुर, बदनावर, महू, सांवेर, नागद-खाचरोद, मल्हारगढ़ और मनासा ।