राजस्थान में अशोक गहलोत को बड़ा झटका मिलता दिख रहा है। विधानसभा चुनावों के नतीजों में फिलहाल बीजेपी बंपर सीटों के साथ यहां पर सरकार बनाती दिख रही है। हालांकि, उम्मीद थी कि राजस्थान में इस बार कांग्रेस फिर से सत्ता हासिल कर पाएगी, लेकिन रिवाज जारी रहा। बीजेपी यहां पर फिर से वापसी करने के लिए तैयार है। इसी के साथ अब ये सवाल उठना शुरू हो गया है कि आखिर मुख्यमंत्री पद के लिए कौन सा चेहरा होगा। अगर बात करें चेहरों की तो इसके लिए कई नाम दावेदारी रख रहे हैं।
199 सीटों पर हुए चुनाव में बीजेपी 53 पर कब्जा करती दिख रही है। साफ है कि वो बहुमत हासिल भी कर लेगी। अब बारी मुख्यमंत्री चुनने को है, जिसके लए रेस में वसुंधरा राजे भी शामिल हैं। रेस में पहला नाम उनका है क्योंकि उनके पास 2 बार बतौर मुख्यमंत्री जिम्मेदारी निभाने का अनुभव है। लिस्ट में दीया कुमारी भी हैं।
महंत बालकनाथ को माना जा रहा ‘राजस्थान का योगी’
इसके अलावा महंत बाबा बालकनाथ का नाम भी चर्चा में है, जिनकी तुलना उत्तर प्रदेश के योगी आदित्यनाथ से की जा रही है और उन्हें ‘राजस्थान का योगी’ कहा जा रहा है। बीजेपी सांसद महंत बालकनाथ मस्तनाथ मठ के आठवें महंत हैं। बालकनाथ ओबीसी वर्ग से आते हैं। चर्चा है कि इस बार यूपी की तरह ही बीजेपी राजस्थान के इस योगी को भी मुख्यमंत्री की कमान सौंप सकती है।
रेस में इनके भी नाम
इन तीनों नेताओं के अलावा भी कई ऐसे नाम हैं, जो चर्चा में हैं। इसमें केंद्र सरकार में जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत का नाम भी शामिल है। वो जोधपुर लोकसभा सीट से सांसद है। उनकी राजस्थान में अच्छी पकड़ मानी जाती है। उनके अलावा राजस्थान भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी, सतीश पूनिया, राजेंद्र राठौड़, केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, लोकसभा स्पीकर ओम बिरला, सांसद राज्यवर्धन राठौड़ जैसे बड़े नेता के नामों पर भी चर्चा की जा रही है।
वसुंधरा का नाम सबसे मजबूत
बता दें कि वसुंधरा राजे का नाम सबसे मजबूत माना जा रहा है। वसुंधरा राजे पार्टी की राज्य में सबसे ज्यादा लोकप्रिय नेताओं में से एक हैं। चुनाव से पहले हुए कई सर्वे में प्रदेश की 27 फीसदी लोगों ने उन्हें सीएम फेस के लिए अपनी पसंद माना। राजस्थान में विधानसभा चुनाव के लिए 25 नवबंर को मतदान संपन्न हुआ था। इस बार राज्य में करीब 75 प्रतिशत मतदान हुआ है। बंपर मतदान को लेकर सत्ताधारी कांग्रेस को सत्ता बरकरार रहने की उम्मीद है। कांग्रेस मान रही है कि गहलोत की ‘सात गारंटी’ पर जनता ने उन्हें ‘छप्पर फाड़’ के वोट दिए हैं। वहीं बंपर वोटिंग को बीजेपी अपने पक्ष में मान रही है।